झारखंड

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में झारखंड के ऐतिहासिक नेताजी सुभाष चन्द्र बोस गोमो जंक्शन किया जिक्र

Ritisha Jaiswal
31 July 2022 4:14 PM GMT
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में झारखंड के ऐतिहासिक नेताजी सुभाष चन्द्र बोस गोमो जंक्शन किया जिक्र
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में झारखंड के ऐतिहासिक नेताजी सुभाष चन्द्र बोस गोमो जंक्शन जिक्र किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में झारखंड के ऐतिहासिक नेताजी सुभाष चन्द्र बोस गोमो जंक्शन जिक्र किया. इस बात से स्थानीय लोग और स्टेशन में तैनात रेलकर्मी बेहद खुश हैं. स्थानीय लोग स्टेशन परिसर में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की प्रतिमा लगवाने की मांग कर रहे हैं. बता दें कि धनबाद रेल मंडल के अंतर्गत ही नेताजी सुभाष चन्द्र बोस गोमो जंक्शन पड़ता है. यह स्टेशन धनबाद रेल मंडल के महत्वपूर्ण स्टेशनों में से एक है.

स्थानीय निवासी सेंकी गुप्ता का कहना है कि गोमो जंक्शन ऐतिहासिक धरोहर के समान है. प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम में इस स्टेशन का जिक्र किया. यह स्थानीय निवासियों के लिये गर्व की बात है. यहीं पर अंतिम बार नेताजी सुभाष चन्द्र बोस देखे गये थे. यहीं से कालका मेल से रवाना हुए थे. लेकिन इस स्टेशन का अब तक विकास नही हो पाया है. स्टेशन में नेताजी की प्रतिमा होनी चाहिए.
स्टेशन मास्टर नसीम परवीन का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में इस स्टेशन का जिक्र किया. यह बहुत खुशी की बात है. रेल प्रशासन और रेल विभाग की तरफ से उन्हें धन्यवाद.
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का अतित गोमो जंक्शन से जुड़ा हुआ है. अंग्रेजी सिपाहियों ने 2 जुलाई 1940 को हॉलवेल मूवमेंट के दौरान उन्हें गिरफ्तार कर लिया और प्रेसिडेंसी जेल भेज दिया था. नेताजी ने अपनी गिरफ्तारी से नाराज होकर जेल में ही अनशन शुरू कर दी. इससे उनका स्वास्थ्य लगातार खराब होता जा रहा था. तब अंग्रेजों ने उन्हें एक शर्त पर रिहा किया कि तबियत ठीक होने पर उन्हें पुनः गिरफ्तार कर लिया जाएगा. हालांकि इससे भी अंग्रेजों का मन नहीं भरा, तो उन्होंने एल्गिन रोड स्थित नेताजी के आवास पर पहरा लगा दिया गया था. उक्त मामले की सुनवाई 27 जनवरी 1941 को होना तय था. नेताजी को इस मामले की भनक लग गयी थी कि उन्हें सजा होने वाली है.
नेताजी अंग्रेजी सिपाहियों की आंख में धूलझोंक कर बंगाल की सीमा से भागने में सफल रहे. उनके कोलकाता से भागने की खबर फैलने के बाद अंग्रेजी हुकूमत में खलबली मच गयी थी. वे अपने भतीजे व अपने परिवार के अन्य लोगों के साथ कार से गोमो पहुंचे थे. इसके बाद 17 जनवरी की रात को वे गोमो स्टेशन से गंतव्य के लिए रवाना हो गये थे.


Ritisha Jaiswal

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