झारखंड

540 नई हैवी रेल इंजन बनाने की तैयारी, 2025 तक सभी स्टॉकिंग्स में एलएचबी कोच की योजना

SANTOSI TANDI
5 Oct 2023 7:01 AM GMT
540 नई हैवी रेल इंजन बनाने की तैयारी, 2025 तक सभी स्टॉकिंग्स में एलएचबी कोच की योजना
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2025 तक सभी स्टॉकिंग्स में एलएचबी कोच की योजना
झारखण्ड रेलवे माल ढुलाई बढ़ाने की योजना से उच्च क्षमता वाला नया इंजन बनाएगा. इससे चित्तरंजन लोकोमोटिव वर्क्स से 540 डब्ल्यूएजी 9 एच मॉडल का इंजन बनवाया जा रहा है.
दरअसल रेलवे में 3000 मीट्रिक टन लोडिंग और ढुलाई का लक्ष्य रखा गया है. इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए संसाधन की जरूरत है. रेलवे ने 2022-23 के वित्तीय वर्ष में चक्रधरपुर समेत अन्य मंडल में 1512 मीट्रिक टन माल ढुलाई की. ढुलाई बढ़ाने में तेज गति के शक्तिशाली इंजन की कमी सामने आ रही है. इससे डब्ल्यूएजी 9 एच मॉडल इंजन बनाने का आदेश हुआ है, ताकि खनिज एवं तैयार सामग्री से लोड मालगाड़ी को एक से दूसरी जगह पहुंचाया जा सके. अप्रैल 2023 में भी रेलवे बोर्ड ने तीन कंपनियों को डब्ल्यूएजी 9 एच और डब्ल्यूएपी 7 मॉडल का 2360 इंजन 2024-25 तक बनाने का ऑर्डर दिया था. इससे डब्ल्यूएजी 9 एच 1960 और डब्ल्यूएपी 7 मॉडल के 400 इंजन बनेंगे.
2024-25 तक लंबी दूरी की सभी ट्रेनों में एलएचबी कोच लगाने की योजना है. इससे 2025 तक 6551 एलएचबी मॉडल का नया कोच बनवा रहा है, ताकि ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने में सहूलियत हो. यात्री सुविधा व सुरक्षा के दृष्टिकोण से आईसीएफ (इंटीग्रल कोच फैक्ट्री) 2898, आरसीएफ (रेल कोच कारखाना) 1840 एवं एमसीएम (मॉर्डन कोच फैक्ट्री) कंपनी को 1813 नया एलएचबी कोच बनाने का ऑर्डर दिया है. नए कोच में फर्स्ट एसी, सेकेंड एसी, थर्ड एसी, स्लीपर, चेयरकार, एग्जीक्यूटिव क्लास व इकोनॉमी कोच शामिल हैं, जिसे तेजस, दीनदयाल, मेट्रो और वंदे भारत में लगाने की योजना है.
डब्ल्यूएजी 9 एच 1960, डब्ल्यूएपी 7 मॉडल के 400 इंजन बनेंगे
अभी 17 रेलवे जोन के करीब 14 हजार इंजन लाइन पर दौड़ते हैं
रेलवे ने 2022-23 में 1512 मीट्रिक टन माल ढुलाई की
3000
एक इंजन बनाने में रेलवे के 13 से 20 करोड़ खर्च होंगे
जानकारी के अनुसार, एक इंजन बनाने में रेलवे का करीब 13 से 20 करोड़ रुपये खर्च होता है. अभी 17 रेलवे जोन के करीब 14 हजार विभिन्न मॉडल के इंजन लाइन पर दौड़ते हैं. डब्ल्यूएजी 9 एच मॉडल के इंजन की संख्या बढ़ने से चक्रधरपुर मंडल और दक्षिण पूर्व रेलवे जोन को लौह अयस्क व कोयला ढुलाई में सहूलियत होगी.
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