झारखंड
कोडरमा के ऐतिहासिक शिव सागर तालाब पर छठ की तैयारी पूरी, 100 साल पहले माइका खनन के लिए अंग्रजों ने खोदी थी तालाब
Shantanu Roy
10 Nov 2021 8:33 AM GMT
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महापर्व छठ को लेकर पूरे झारखंड में उत्साह है. जिले में भी इसको धूमधाम से मनाया जा रहा है. महापर्व छठ के तीसरे दिन यानी आज सूर्य देवता को पहला अर्घ्य दिया जाएगा.
जनता से रिश्ता। महापर्व छठ को लेकर पूरे झारखंड में उत्साह है. जिले में भी इसको धूमधाम से मनाया जा रहा है. महापर्व छठ के तीसरे दिन यानी आज सूर्य देवता को पहला अर्घ्य दिया जाएगा. ऐसे में तकरीबन एक सदी पहले माइका उत्खनन के लिए खोदे गए डोमचांच का शिव सागर तालाब छठ व्रतियों के लिए काफी महत्वपूर्ण है. लगभग 100 साल से यहां छठ पूजा का आयोजन किया जा रहा है. इस बार भी इस तालाब पर छठ को लेकर विशेष तैयारी की गई है.
माइका खनन के लिए खोदा गया था तालाब
शिव सागर तालाब के बारे में बताया जाता है कि ब्रटिश जमाने मे माइका उत्खनन के लिए इसे खोदा गया था. यह तालाब अब ऐतिहासिक रूप से कोडरमा के लिए धरोहर बन गई है. छठ पूजा के दौरान यहां हज़ारों की संख्या में लोग छठ पूजा के लिए पहुंचते हैं. यहां छठ के दौरान हरेक साल भगवान भाष्कर की प्रतिमा स्थापित कर उनकी पूजा की जाती है. शिवसागर गांव में रहने वाला सभी परिवार यहां छठ मनाने पहुंचते हैं. छठ व्रतियों के बीच ये माना जाता है कि इस तालाब पर भगवान सूर्य को अर्घ्य देने से सभी मन्नतें पूरी होती है.
मेले का आयोजन
यहां छठ पूजा का कितना महत्व है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यहां प्रत्येक साल मेले का आयोजन किया जाता है. इस बार भी शिव सागर घाट के पास मेला लगाया गया है जहां बच्चों के मनोरंजन के लिए झूले लगाए गए हैं. एतवारी छठ के बाद सोमवार को भगवान भास्कर की प्रतिमा विसर्जित की जाएगी. आपको बता दें कि आज शाम हजारों छठ वर्तिया डोमचांच के शिव सागर तालाब पर अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य देने पहुंचेंगे और उसके बाद भगवान भास्कर की प्रतिमा का दर्शन करेंगे. छठ के आयोजन को लेकर तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है.
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