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राजधानी में गाड़ियों को पार्किंग के लिए जगह मिले ना मिले निजी कंपनी की साइकिल के लिए हर जगह डॉक्स जरूर बने हुए हैं. जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम से लैस बेसकीमती यह साइकिल जर्मनी की बनी हुई हैं
जनता से रिश्ता। राजधानी में गाड़ियों को पार्किंग के लिए जगह मिले ना मिले निजी कंपनी की साइकिल के लिए हर जगह डॉक्स जरूर बने हुए हैं. जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम से लैस बेसकीमती यह साइकिल जर्मनी की बनी हुई हैं. तत्कालीन रघुवर सरकार के नगर विकास विभाग की पहल पर शुरू हुई शेयरिंग साइकिल सर्विस आज अपेक्षा के अनुरूप काम नहीं कर रहा है.
रांची में शेयरिंग साइकिल सर्विस तत्कालीन रघुवर सरकार और नगर विकास विभाग की पहल पर शुरू हुई थी. स्वास्थ्य ठीक रखने और पर्यावरण को प्रदूषण से रोकने में साइकिल की अहम भूमिका है. इसी उद्देश्य से रांची में 3 मार्च 2019 को इस सेवा की शुरुआत की गई थी. लेकिन राजधानी में लोगों की उदासीनता की वजह से ये सेवा आज अपेक्षा के अनुरूप काम नहीं कर रहा है.
फेज-2 में साइकिल सेवा का होगा विस्तार
शुरुआत में यह सर्विस कुछ इलाकों में था, बाद में फेज वन के तहत राजधानी के विभिन्न स्थानों पर इस सेवा को बढायी गयी. वर्तमान में राजधानी में 60 डॉक्स हैं, जहां 600 साइकिल खड़ी है. रांची स्मार्ट सिटी, सूडा और नगर निगम के सहयोग से चार्टर्ड बाइक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी (Chartered Bike Private Limited Company) फेज-2 में 60 ड्रॉक्स तैयार कर 600 और अतिरिक्त साइकिल राजधानी की सड़कों पर उतारेगा.
कंपनी के महाप्रबंधक अतुल गुप्ता ने उम्मीद जताया है कि देश की अन्य शहरों की तरह रांची में भी लोग साइकिल सेवा को अपनाएंगे. उन्होंने कहा कि शुरुआती समय में जरुर राइडर्स की संख्या काफी थी. लेकिन कोरोना के कारण बाजार और शैक्षणिक संस्थानों के बंद होने के कारण इस सेवा को भी प्रभावित किया, जिसके कारण कंपनी को काफी वित्तीय घाटे भी हुए, अब स्थितियां सामान्य हो रही हैं तो उम्मीद है कि जल्द सबकुछ ठीक हो जाएगा.
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