झारखंड

ऑक्सीजन के अभाव में मरीज की एंबुलेंस में मौत

Admin Delhi 1
21 Jan 2023 11:41 AM GMT
ऑक्सीजन के अभाव में मरीज की एंबुलेंस में मौत
x

जमशेदपुर न्यूज़: करीब 130 किलोमीटर दूर से पहुंचे मरीज को तीन घंटे तक रिम्स में ऑक्सीजन बेड नहीं मिल सका, जिसके बाद एंबुलेंस में ही उसकी (86 वर्षीय रुद्र प्रताप सिंह मानकी) मौत हो गयी. रिम्स के ट्रामा सेंटर एंड इमरजेंसी पहुंचने के तीन घंटे तक मरीज के परिजन बेड के लिए इधर-उधर विनती करते रहे, पर किसी ने नहीं सुनी.

परिजनों ने भर्ती कराने के लिए रजिस्ट्रेशन तक करा लिया था. पर दो से तीन घंटे तक बेड ही नहीं मिला. इस दौरान एक भी नर्स और डॉक्टर मरीज को देखने तक नहीं पहुंचे. न ही ऑक्सीजन सिलेंडर तक दिया गया. आखिरकार मरीज की मौत एंबुलेंस में ही हो गई. परिजन वृंदावन सिंह मानकी ने कहा कि पिछले 3 घंटे से एंबुलेंस में मरीज को ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखकर बेड के लिए इंतजार करते रहे पर कोई फायदा नहीं हुआ. हम दूसरे राज्य के होने के बाद भी रिम्स पर भरोसा कर यहां पहुंचे थे पर यहां लापरवाही के कारण मरीज की मौत हो गई.

ट्रामा सेंटर में बेड खाली नहीं होने की स्थिति में ट्रॉली पर भी ऑक्सीजन दिया जाता है. पर ऐसा करने के लिए भी मरीज के परिजन को कोई स्टाफ, डॉक्टर, नर्स किसी ने परिजन को नहीं समझाया. परिजन तीन घंटे परेशान रहे अगर उन्हें ऑक्सीजन सिलेंडर भी मिल जाता तो मरीज की जान बच सकती थी.

ट्रामा सेंटर से वार्ड रेफर करने में होती है देरी इसलिए बेड नहीं मिल पाता

रिम्स के ट्रामा सेंटर में आने वाले मरीजों को जरूरी ट्रीटमेंट देने के बाद रिम्स के संबंधित वार्ड में भेज दिया जाता है पर, कई बार मरीज तीन से पांच घंटे तक इमरजेंसी में ही इलाज कराते रह जाते हैं. मरीजों के स्टेबल हो जाने के बाद भी कई बार इमरजेंसी में ही पड़े रहते हैं. कई बार मरीज को ऑक्सीजन की जरूरत नहीं होती उसके बाद भी ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड में ही रहते हैं. पिछले एक सप्ताह से कई मरीज सिर्फ समय पर ईसीजी नहीं हो पाने के कारण ट्रामा में ही पड़े रहते हैं. इसीजी मशीन कई बार खराब रहती है, इसके बाद भी ट्रामा में मौजूद जूनियर चिकित्सक बिना इसीजी रिपोर्ट के आगे का इलाज नहीं करते ऐसे में मरीज वार्ड में शिफ्ट नहीं हो पाते जिससे बेड खाली नहीं हो पाता और मरीजों को परेशानी होती है.

भ्रष्टाचार की रेत में फंसी स्वास्थ्य सुविधा बाबूलाल

पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने तोरपा के फंडिगा गांव में पुल नहीं होने के कारण एंबुलेंस के फंस जाने पर प्रसव पीड़ा से कराह रही गर्भवती को तीन किलोमीटर पैदल चलने की खबर पर स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर झारखंड सरकार पर सवाल खड़े किए हैं. ट्वीट कर बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि भ्रष्टाचार की रेत में फंसी स्वास्थ्य सुविधाओं का पहिया. धक्का लगाने को मजबूर जनता और कराहती मातृशक्ति.

कभी खाट पर, कभी पैदल तो कभी सड़कों पर ही बच्चा जनने को मजबूर महिलाएं. स्वास्थ्य सुविधाओं की इस दुर्दशा पर भी सोई हुई है झारखंड सरकार. मालूम हो कि दो दिन पूर्व तोरपा प्रखंड के फंडिगा गांव की एक गर्भवती महिला को अस्पताल लाने गई एंबुलेंस नदी में फंस गई थी. बनई नदी में पुल नहीं होने के कारण एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंच पाई. गर्भवती महिला को तीन किलोमीटर पैदल चलकर आना पड़ा था.

ऑक्सीजन सपोर्टेड सभी बेड थे फुल इसलिए मरीज को नहीं हो पाया उपलब्ध प्रबंधन

मरीज की मौत के मामले पर रिम्स के पीआरओ डॉ राजीव रंजन ने कहा कि ट्रामा सेंटर के ग्राउंड फ्लोर में कुल 30 बेड है. इनमें 20 ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड है. यहां भर्ती सभी मरीज गंभीर स्थिति में है. ठंड के बढ़ने के कारण हार्ड अटैक की संख्या भी बढ़ी है. साथ ही सांस से संबंधित मरीज भी भर्ती हैं और सभी मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत है. ऐसे में बेड खाली नहीं था. मरीज की मौत दुखद है. राजीव ने कहा कि रिम्स में न सिर्फ झारखंड के मरीज आते हैं, बल्कि बाहर के भी मरीज आ रहे हैं. इस वजह से अस्पताल का लोड बढ़ गया है.

Next Story