झारखंड

नए प्रस्ताव पर पारा शिक्षक कल करेंगे आंदोलन का ऐलान

Kunti Dhruw
12 Dec 2021 5:07 PM GMT
नए प्रस्ताव पर पारा शिक्षक कल करेंगे आंदोलन का ऐलान
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राज्य सरकार की ओर से वेतनमान की जगह मानदेय में बढ़ोतरी किए जाने का प्रारूप देने पर प्रदेश के पारा शिक्षकों का पारा चढ़ गया है।

राज्य सरकार की ओर से वेतनमान की जगह मानदेय में बढ़ोतरी किए जाने का प्रारूप देने पर प्रदेश के पारा शिक्षकों का पारा चढ़ गया है। इसके खिलाफ राज्यभर के पारा शिक्षकों में आक्रोश है। पारा शिक्षकों का कहना है कि उनके साथ धोखा हुआ है। सरकार के नए प्रस्ताव के खिलाफ रविववार को सभी जिलों में पारा शिक्षकों की बैठक हुई। वे सोमवार को अपने संघर्ष की रणनीति का ऐलान करेंगे।

एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा का कहना है कि वेतनमान की लड़ाई जारी रहेगी। मोर्चा का कहना है कि पारा शिक्षकों के लिए सेवा शर्त नियमावली वेतनमान के लिए बनाई जा रही थी, न कि मानदेय में बढ़ोतरी के लिए। मानदेय बढ़ोतरी तो झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद की कार्यकारिणी से भी हो जाती है, इसके लिए सेवा शर्त नियमावली की क्या आवश्यकता है। पारा शिक्षकों के मानदेय में हर साल 10 फीसदी की बढ़ोतरी पूर्व का ही फैसला है। ऐसे में करीब तीन साल का मानदेय बढ़ोतरी नहीं हो सका है, वही अब राज्य सरकार करना चाह रही है।
शिक्षा मंत्री ने खुद की थी बिहार मॉडल की घोषणा
एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के प्रद्युमन सिंह और ऋषिकेष पाठक ने कहा कि शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने खुद बिहार मॉडल लागू करने की घोषणा की थी। मंत्री के अलावा राज्य सरकार की कमेटियों ने भी 5200-20,200 के वेतनमान दिए जाने की अनुशंसा की थी। जो जिच था वह आकलन परीक्षा या फिर शिक्षक पात्रता परीक्षा का था। अगर प्रशिक्षित पारा शिक्षकों के आकलन परीक्षा की जगह टेट ही मानक तय किया जाता है तो उसे किया जा सकता है।
नई नियमावली बिहार मॉडल से अलग
एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने कहा कि जो नियमावली दी गई है वह अब तो बिहार मॉडल नहीं है। शिक्षा मंत्री ने पारा शिक्षकों के साथ बिहार मॉडल पर ही चर्चा की और वहां नियोजित शिक्षकों को दिए जा रहे वेतनमान पर सहमति ली, लेकिन अब उस प्रस्ताव को ही बदल दिया गया। इस प्रस्ताव को न तो कभी पारा शिक्षकों के समक्ष रखा गया और न ही चर्चा की गई। पारा शिक्षकों को सीधे प्रारूप थमा दिया गया। इस फैसले से सरकार ने न सिर्फ एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के अष्टमंडल कमेटी को, बल्कि राज्य के 64 हजार पारा शिक्षकों को छला है और उनकी भावना को ठेस पहुंचाया है।
क्या है सरकार का नया प्रस्ताव
राज्य सरकार के नए प्रस्ताव के अनुसार प्रदेश के टेट पास पारा शिक्षकों के मानदेय में एकमुश्त 50 फीसदी की बढ़ोतरी की जाएगी। वहीं बिना टेट वाले पारा शिक्षकों के मानदेय में 40 फीसदी की बढ़ोतरी होगी। बिना टेट वाले पारा शिक्षकों की आकलन परीक्षा भी होगी। इसमें पास करने के बाद उनके मानदेय में अलग से 10 फीसदी की बोनस के रूप में बढ़ोतरी होगी। यह एक जनवरी 2022 के प्रभाव से लागू होगा।
झामुमो के घोषणा पत्र में भी था मुद्दा
एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने कहा कि पारा शिक्षकों के स्थायीकरण और वेतनमान दिए जाने का मामला झामुमो के घोषणा पत्र में भी था। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने चुनाव के दौरान साफ कहा था कि उनकी सरकार बनने पर तीन महीने के अंदर पारा शिक्षकों का स्थायीकरण किया जाएगा और वेतनमान का लाभ दिया जाएगा, लेकिन यह तीन महीना दो साल में बदल गया और मानदेय बढ़ोतरी का लॉलीपॉप थमाया जा रहा है। पिछले दो साल में कोरोना, शिक्षा मंत्री का स्वास्थ्य लेकर उनकी ओर से बार-बार वेतनमान का दिा जा रहा आश्वासन के बाद पारा शिक्षकों को सरकार से उम्मीद थी, लेकिन मानदेय बढ़ोतरी का प्रारूप उस पर पानी फेरता दिख रहा है।
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