धनबाद: रंगदारी के मामले में गिरफ्तार हुए निजी चैनल के मालिक अरूप चटर्जी जमानत के बाद भी जेल से बाहर नहीं आ सकेंगे. धनबाद पुलिस (Dhanbad Police) ने गबन के एक पुराने मामले में उन्हें बुधवार को रिमांड किया है. धनबाद के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी संजय कुमार सिंह की अदालत ने 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में उन्हें जेल भेजने का आदेश दिया है.
जमानत के बाद धनबाद पुलिस ने अदालत में दिया था आवेदन: दरअसल, 19 जुलाई को हाई कोर्ट ने राकेश ओझा से रंगदारी मांगने के मामले में अरूप चटर्जी को जमानत दे दी थी. इसके बाद धनबाद पुलिस ने आरोपी अरूप चटर्जी को जेल में रखने के लिए कानूनी दांव पेंच लगाया और उन्हें रिमांड करने का आवेदन अदालत में दिया. जिसके आधार पर अदालत ने अरूप चटर्जी को पेश करने का आदेश दिया था.आरोपी के अधिवक्ता ने फिर दर्ज की जमानत याचिका: कोर्ट के आदेश के आलोक में जेल प्रशासन ने अरूप चटर्जी को कोर्ट में पेश किया. जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया. वहीं दूसरी ओर अरूप की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता शाहनवाज, हुसैन हैकल और मोहम्मद रफीक ने इस मामले में जमानत की अर्जी दायर कर दी. अधिवक्ता शाहनवाज ने बताया कि जमानत अर्जी पर गुरुवार को सुनवाई होगी.आरोपी ने पेशी के दौरान अदालत को क्या बताया: पेशी के दौरान अदालत को आरोपी अरूप ने कहा कि जेल में उन्हें यातना दी जा रही है. मैं पत्रकार हूं, पुलिस द्वारा कराए जा रहे कोयला चोरी का भंडाफोड़ किया था, जिसके लिए प्रशासन के आदमी लगातार जेल में मेरे पीछे लगे हुए हैं. जेल में किसी भी बंदी को कोई सुविधा नहीं दी जा रही है, इस कारण बंदियों से मुझे मिलने या बात करने नहीं दिया जा रहा. उन्होंने कहा मेरा इलाज भी नहीं कराया जा रहा है जबकि, अभी मेरा ब्लड प्रेशर काफी बढ़ा हुआ है. अरूप ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी से यह प्रार्थना की कि जेल प्रशासन को आदेश दिया जाए कि उनका समुचित इलाज हो. अरूप की बात सुनने के बाद अदालत ने अभी आदेश सुरक्षित रखा है. सुनवाई के दौरान अदालत में अरूप की पत्नी बेबी चटर्जी और उनका बेटा भी उपस्थित था.
9 लाख रुपए गबन करने का है आरोप: लोयाबाद निवासी मनोज पंडित की शिकायत पर केयर ग्रुप ऑफ कंपनी के डायरेक्टर अरूप चटर्जी और राकेश सिन्हा के विरुद्ध पुटकी थाना में कांड संख्या 91/18 दर्ज की गई थी. प्राथमिकी के मुताबिक कंपनी की ओर से लुभावना स्कीम का प्रलोभन देकर कंपनी में रुपया जमा करने का प्रचार प्रसार किया गया और लोगों का रुपया कंपनी में जमा करवाया जाने लगा. मनोज भी कंपनी का एजेंट था जिसने कंपनी के प्रलोभन में आकर कई लोगों का पैसा कंपनी में जमा करवाया. जब कंपनी में काफी रुपया जमा हो गया तो कंपनी पैसा लौटाने में आनाकानी करने लगी और बैंक मोड़ स्थित ऑफिस को बंद कर दिया गया. मनोज ने आरोप लगाया था कि कंपनी के प्रबंधक और निदेशक ने लोगों का करीब 9 लाख रुपया गबन किया और फिर वे कंपनी बंद करके भाग गए.