झारखंड

धनबाद में पिछले पांच साल में केवल सात एंबुलेंस का हुआ रजिस्ट्रेशन, सड़क पर दौड़ रहीं सैकड़ों, जानें क्या कहता है नियम

Renuka Sahu
24 Jun 2022 4:07 AM GMT
Only seven ambulances were registered in Dhanbad in the last five years, hundreds running on the road, know what the rules say
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फाइल फोटो 

निजी या सरकारी अस्पतालों के बाहर एंबुलेंस की कतार लगी रहती है। रोज नई एंबुलेंस इस कतार में जुड़ती हैं, लेकिन किसी भी एंबुलेंस का रजिस्ट्रेशन नहीं होता।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। निजी या सरकारी अस्पतालों के बाहर एंबुलेंस की कतार लगी रहती है। रोज नई एंबुलेंस इस कतार में जुड़ती हैं, लेकिन किसी भी एंबुलेंस का रजिस्ट्रेशन नहीं होता। इसकी पुष्टि जिला परिवहन कार्यालय का रजिस्ट्रेशन आकंड़ा कहता है। दरअसल पिछले पांच वर्षों में महज सात एंबुलेंस का ही रजिस्ट्रेशन हुआ है। जबकि इसके विपरित कोरोना काल में और कोरोना काल के बाद बड़े पैमाने पर शहर में नई एंबुलेंस की संख्या बढ़ी है। सैकड़ों की संख्या में जिलेभर में एंबुलेंस दौड़ रही हैं।

टैक्स बचाने के चक्कर में नहीं कराते रजिस्ट्रेशन
नियम के अनुसार वाहन खरीदने के बाद इसका परिवहन कार्यालय से एंबुलेंस के नाम रजिस्ट्रेशन कराया जाता है। इसकी अलग से फीस देय होती है। तमाम मनाकों के अनुपालन की जांच के बाद परिवहन कार्यालय से एंबुलेंस के लिए एनओसी प्रदान की जाती है। जबकि वास्तविकता यह है कि जिले में 90 प्रतिशत निजी एंबुलेंस कॉमर्शियल वाहन के नाम से रजिस्ट्रर्ड हैं।
क्या है नियम
मानक कहता है कि एंबुलेंस के रूप में चलने वाली गाड़ियों में एआईएस-125 का अनुपालन अनिवार्य है। इसकी जांच परिवहन विभाग करता है। इसके अलावा एंबुलेंस को टैक्स में भी छूट दी जाती है। प्रत्येक तीन माह में टैक्स जमा करना होता है।
न जांच न कार्रवाई
जिलेभर में धड़ल्ले से वाहनों पर एंबुलेंस लिखकर मरीजों को ढोया जा रहा है, लेकिन इसके खिलाफ कार्रवाई भी नहीं होती। एंबुलेंस के मानकों का पालन न करना खतरनाक तो है ही, इससे सरकार को राजस्व का भी नुकसान है। पिछली बार जनवरी 2022 में में डीटीओ के नेतृत्व में छापेमारी अभियान चलाकर पांच फर्जी एबुलेंस जब्त की गई थी, लेकिन इसके बाद आगे कोई कार्रवाई नहीं हुई।
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