झारखंड

पॉलिटेक्निक संस्थानों में पढ़ाई कर रहे 20 से 25 प्रतिशत स्टूडेंट्स का ही हो रहा प्लेसमेंट

Renuka Sahu
28 Sep 2022 1:46 AM GMT
Only 20 to 25 percent students studying in polytechnic institutes are getting placement
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न्यूज़ क्रेडिट : lagatar.in

उच्च एवं तकनीकि शिक्षा विभाग अंतर्गत चल रहे राज्य के सरकारी पॉलिटेक्निक संस्थानों की स्थिति काफी खराब है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। उच्च एवं तकनीकि शिक्षा विभाग अंतर्गत चल रहे राज्य के सरकारी पॉलिटेक्निक संस्थानों की स्थिति काफी खराब है. संस्थानों का संचालन भी सही तरीके से नहीं हो रहा है. नतीजा पॉलिटेक्निक संस्थानों में पढ़ाई कर रहे 20 से 25 प्रतिशत छात्र-छात्राओं का ही प्लेसमेंट हो पा रहा है. प्लेसमेंट के बाद छात्र-छात्राओं को भी महज 15,000 से 17,000 रूपये मासिक यानी 1.5 से 2 लाख वार्षिक वेतन मिल रहा है. स्थिति खराब होता देखे पिछली सरकार द्वारा आठ पॉलिटेक्निक संस्थानों को पीपीपी मोड पर चलाने का निर्णय लिया गया, लेकिन आशानुरूप सफलता नहीं मिल पायी. अब इन संस्थानों को चलाने के लिए विभाग द्वारा पैनआईआईटी एलुमनी रीच फोर झारखंड फाउंडेशन (प्रेझा फाउंडेशन) के साथ समझौता किया गया है.

राज्य में 42 पॉलिटेक्निक संस्थान हैं संचालित, 8 बनकर तैयार
बता दें कि उच्च एवं तकनीकि शिक्षा अंतर्गत इन दिनों राज्य में कुल 42 कुल पॉलिटेक्निक संस्थान चल रहे हैं. इसमें से 17 राजकीय पॉलिटेक्निक संस्थान (13 राजकीय और 4 राजकीय महिला पॉलिटेक्निक शामिल) संचालित हैं. वहीं, पीपीपी मोड में 8 पॉलिटेक्निक संस्थान (सिल्ली, पाकुड़, गोला, चांडिल, गढ़वा, मधुपुर, बहरागोड़ा और गुमला में) चल रहे हैं. 17 निजी क्षेत्र में चल रहे हैं. इसके अतिरिक्त 8 जिलों (खूंटी, लोहरदगा, हजारीबाग, जामताड़ा, गोड्डा, बगोदर एवं पलामू) में नए पॉलिटेक्निक भवन बनकर तैयार हैं.
17 राजकीय पॉलिटेक्निक संस्थानों में प्लेसमेंट केवल 30 से 35 प्रतिशत
राज्य के 17 राजकीय पॉलिटेक्निक संस्थानों में पढ़ाई कर रहे छात्रा-छात्राओं के प्लेसमेंट की स्थिति सही नहीं है. इन संस्थानों में कुल 3730 सीटें हैं. इसमें हर साल औसतन 3430 बच्चों का ही एडमिशन हो रहा है. इसमें भी औसतन 30 से 35 प्रतिशत (करीब 1115) छात्र-छात्राओं का ही प्लेसमेंट हो पा रहा है.
पीपीपी मोड पर चल रहे संस्थानों में प्लेसमेंट केवल 25 से 30 प्रतिशत
पॉलिटेक्निक संस्थानों की स्थिति खराब होता देख पिछली सरकार ने 8 नए पॉलिटेक्निक संस्थानों को पब्लिक-प्राइवेट मोड (पीपीपी) में चलाने का फैसला हुआ. लेकिन फिर भी छात्रा-छात्राओं के पैलेसमेंट की स्थिति में सुधार नहीं हुआ. वहीं, पीपीपी मोड पर चल रहे 8 नए पॉलिटेक्निक संस्थानों में कुल उपलब्ध 2530 सीटों के विरूद्ध लगभग 1650 छात्रों का ही एडमिशन वर्तमान में हो रहा है, जो कुल क्षमता का लगभग का 65 प्रतिशत है. इसमें से भी सिर्फ 25 से 30 प्रतिशत (करीब 454 सीटों) छात्रों का ही प्लेसमेंट हो रहा है. प्लेसमेंट पा रहे छात्रों का औसतन पैकेज मात्र 1.5 से 2 लाख रुपये है.
प्रेझा फाउंडेशन को मिला पॉलिटेक्निक संस्थानों को चलाने का जिम्मा
विभाग ने अब 8 नए बने पॉलिटेक्निक संस्थानों को संचालित करने का जिम्मा प्रेझा फाउंडेशन को दिया है. प्रेझा फाउंडेशन झारखंड सरकार और पैनआईआईटी एलुमनी रीच फ़ॉर इंडिया फाउंडेशन का एक गैर-लाभकारी संयुक्त संस्था है. इसमें राज्य सरकार की 40 प्रतिशत और पैन आईआईटी की 60 प्रतिशत भागीदारी है. यह यह विशेष रूप से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ी, अल्पसंख्यक और आर्थिक रूप से कमजोर सवर्ण वर्ग (ईडब्ल्यूएस) युवाओं के लिए आईआईटीयन रूप में व्यावसायिक और आजीविका शिक्षा प्रदान कर रहा है. विभाग का मानें, तो प्रेझा फाउंडेशन इन दिनों राज्य के कुछ आईआईटी एवं नर्सिंग कॉलेजों को भी बेहतर तरीके से संचालित कर रहा है.

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