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सेल की किरीबुरू-मेघाहातुबुरु प्रबंधन से लेवी मांगने के मामले का पुलिस ने खुलासा कर दिया है
Kiriburu (Shailesh singh) : सेल की किरीबुरू-मेघाहातुबुरु प्रबंधन से लेवी मांगने के मामले का पुलिस ने खुलासा कर दिया है. पुलिस की इस सफलता के बाद से सेल के अधिकारियों व कर्मचारियों के अलावे खादान की सुरक्षा में तैनात सीआईएसएफ जवानों में भारी हर्ष है. सभी को इस बात की खुशी है कि सेल से लेवी मांगने वाला आरोपी पुलिस गिरफ्त में आ गया है. भाकपा माओवादी नेता अनमोल एंव चमन दा के नाम पर लेवी मांगने वाले हाबिल होरो को पुलिस ने न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.
अपने ही बुने जाल में फंस गया होरो
उल्लेखनीय है कि सेल से दो करोड़ रूपये लेवी मांगने की घटना के अगले दिन हीं लगातार न्यूज ने यह खुलासा कर दिया था कि इस घटना को भाकपा माओवादी नक्सलियों ने नहीं बल्कि उसका नाम का इस्तेमाल कर कोई अपराधी तत्वों ने किया है. कारण यह था कि इस मामले में गिरफ्तार हाबिल होरो यह भूल गया था कि वह जिस भाकपा माओवादी संगठन का दक्षिणी छोटानागपुर जोनल कमिटी का रसीद का इस्तेमाल कर दो करोड़ रूपये की लेवी की मांग सेल से की है, उस संगठन को वर्षों पूर्व भाकपा माओवादी ने खत्म कर दक्षिणी छोटानागरा जोनल कमिटी की जगह दक्षिणी जोनल कमिटी बना दिया है.
लगातार न्यूज के पास नक्सली अनमोल के हाथों लिखा पत्र मौजूद
दूसरी तरफ लेवी मांगने के लिये जिस लेवी की रसीद का इस्तेमाल हुआ था उस रसीद में अनमोल का फर्जी हस्ताक्षर किया हुआ था. वह अक्षर भी अनमोल का नहीं था. क्योंकि लगातार न्यूज के पास अनमोल के हाथों लिखा हुआ कई पत्र आज भी मौजूद है. इसके अलावे पुलिस भी जान रही थी कि घटना के समय नक्सलियों का कोई दस्ता सारंडा जंगल अथवा सेल के उक्त खादान क्षेत्रों में भ्रमणशील नहीं था. नक्सली भी जानते हैं कि सेल उसे किसी भी परिस्थिति में लेवी नहीं देगा. क्योंकि वह वर्षों पूर्व मेघाहातुबुरु खादान में दो बार घुसकर इसके लिये प्रयास कर चुके थे, एक बार तो वह दिन दहाडे़ चार अधिकारियों को मेघाहातुबुरु से अगवा कर पास के जंगल में ले जाकर 7 करोड़ रूपये एंव लाभ का 30 फिसदी लेवी की मांग संबंधित संदेश देकर अधिकारियों को छोड़ दिया था. इस घटना के बावजूद कभी भी सेल प्रबंधन ने लेवी नहीं दी. नक्सली कभी भी कट्टा लेकर लेवी मांगने नहीं जाते हैं बल्कि वह हरे रंग की वर्दी व अत्याधुनिक हथियारों से लैश होकर जाते हैं.
होरो के पास आलिशान भवन और वाहन
पुलिस टीम ने 15 दिन पहले हीं हाबिल होरो के अलावे छोटानागरा थाना अन्तर्गत विभिन्न गांवों से दो अन्य को पकड़कर तीनों से अलग-अलग पूछताछ की. पूछताछ के दौरान हीं हाबिल होरो पर शक गहरा हुआ. हालांकि पुलिस तीनों को पूछताछ के बाद छोड़ दिया था लेकिन हाबिल होरो की तमाम गतिविधियों पर निरंतर नजर रखी जा रही थी. अंततः वह सारे साक्ष्य के साथ पकड़ा गया. हाबिल होरो के पास तिरला में लाखों रूपये खर्च कर आलिशान भवन, वाहन व अन्य सुविधाएं मौजूद है.
गलत गतिविधि के कारण संगठन से निकाला गया
हाबिल का इतिहास ही नक्सल व अपराधी गतिविधियों से जुड़ा रहा है. हाबिल होरो को भाकपा माओवादी नक्सली संगठन ने वर्षों पूर्व उसकी गलत गतिविधियों की वजह से संगठन से दूर कर दिया था. हालांकि हाबिल अनमोल दा, संदीप दा, प्रशांत उर्फ लंबू, चमन दा जैसे अनेक बडे़ नक्सलियों के साथ रहकर उनकी कार्यप्रणाली को जान चुका था. वह संगठन के लिये तमाम जरूरत के समानों को ओडिशा व झारखण्ड के विभिन्न शहरों से खरीदकर वाहनों के जरिये उनतक पहुंचाता भी था.
अपने स्तर से नक्सलियों के नाम पर छपवाया था रशीद
हाबिल होरो ने भाकपा माओवादी संगठन द्वारा छुपा कर रखे गये वायरलैस सेट, पूर्व की कमिटी का लेवी संबंधित रसीद के अलावे पीएलएफआई जैसे नक्सली संगठन की रसीद भी छपवा कर रखा था ताकि उसके जरिय वह ठेकेदारों, व्यापारियों, विभिन्न कंपनियों से लेवी वसूल सके. अनेकों बार इस कार्य में वह सफल भी रहा. हाबिल ने पुलिस को पूछताछ में बताया की बीते पंचायत चुनाव में वह बिटकिलसोय गांव निवासी अपने साथी तथा दिघा पंचायत से मुखिया पद के प्रत्याशी इग्नेश बारला को जिताने के लिये पंचायत के कई गांवों के ग्रामीणों को भी नक्सलियों के नाम पर डरा-धमका कर इग्नेश के पक्ष में वोट डलवा उसे मुखिया बनाया. पुलिस ने अब इस मामले की भी जाँच शुरू कर दी है.
Rani Sahu
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