झारखंड

निशाने पर एनटीपीसी, " जीवनरेखा" को नष्ट कर 100 एकड़ में अवैध खनन किया

Renuka Sahu
17 Oct 2022 3:49 AM GMT
NTPC on target, did illegal mining in 100 acres by destroying Jeevanrekha
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न्यूज़ क्रेडिट : lagatar.in

एनटीपीसी के पकरी बरवाडीह कोल परियोजना में भूमि-मुआवजा घोटाले के बाद एक और बड़ा मामला सामने आया है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। एनटीपीसी के पकरी बरवाडीह कोल परियोजना में भूमि-मुआवजा घोटाले के बाद एक और बड़ा मामला सामने आया है. एनटीपीसी के एमडीओ त्रिवेणी-सैनिक माईनिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने नियमों को ताक पर रखकर इलाके की जीवन रेखा कही जाने वाली 30 मीटर चौड़ी नदी (दोमुहानी नाले) के बहाव क्षेत्र में खनन कर लिया गया. करीब 100 एकड़ से अधिक भूमि पर कंपनी ने फॉरेस्ट क्लियरेंस के शर्तो को ताक पर रखकर अवैध माइनिंग किया. जब यहां खनन किया जा रहा था तब जिला प्रशासन सोया रहा. इस संबंध में मंटू सोनी उर्फ शनिकांत ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार को शिकायत की थी. मंत्रालय की तरफ से तत्काल एक्शन लेते हुए चरणजीत सिंह ने झारखंड के मुख्य सचिव को जांच कर कार्रवाई करने और मंत्रालय को रिपोर्ट देने का निर्देश देते हुए पत्र लिखा है.

उस इलाके की जीवन रेखा है दोमुहानी नाला
हज़ारीबाग़ जिले के बड़कागांव की पहचान कृषि प्रधान क्षेत्र के रूप में रहा है. यहां की कृषि उपज से बने सामान की चर्चा विदेशों तक होती रही है. वन्य जीव जंतुओं से भरे इस इलाके की पहचान अब औद्योगिक और खनिज क्षेत्र के रूप में होने लगी है. औद्योगिक विकास के साथ-साथ भ्रष्टाचार, पर्यावरण, कृषि और वन्य जीव जंतुओं पर पर भी संकट के बादल मंडराने लगे. फॉरेस्ट क्लियरेंस में दोमुहानी नाला के दोनों तरफ 50 मीटर ग्रीन बेल्ट बनाने का आवश्यक शर्त लगाया गया था. इसके बाद एनटीपीसी ने ग्रीन बेल्ट तो नहीं लगाया, नाला को ही नष्ट कर अवैध माइनिंग कर दिया. फॉरेस्ट क्लियरेंस की शर्तों का उल्लंघन किया गया. अवैध माईनिंग से पर्यावरण, वनीय जीव-जंतु और कृषि को भारी नुकसान हो रहा है.
एनजीटी व हाईकोर्ट के आदेश को ताक पर रखकर किया गया खनन
उच्च न्यायालय व एनजीटी लगातार शासन प्रशासन को प्राकृतिक जल स्रोतों को संरक्षित करने के लिए निर्देश पर निर्देश जारी करता रहा, लेकिन दोमुहानी नाला को नष्ट कर एनटीपीसी के एमडीओ त्रिवेणी-सैनिक माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने उच्च न्यायालय व एनजीटी की निर्देश को ठेगा दिखाने का काम किया है.
पर्यावरण मंत्रालय से शिकायत
एनटीपीसी, त्रिवेणी-सैनिक माईनिंग कंपनी पर आरोप है कि उसने अवैध माइनिंग किया है. शिकायत के साथ हज़ारीबाग़ पश्चिमी वन प्रमंडल की जांच रिपोर्ट भी लगाई गई थी. प्रशिक्षु आईएफएस शैलेन्द्र सिंह (अब आईपीएस बिहार कैडर) और सहायक वन संरक्षक ए के परमार के क्षेत्र विजिट के दौरान पाया था कि फॉरेस्ट क्लियरेंस की शर्तों का उल्लंघन हुआ है. दोमुहानी नाला जिसकी औसत चौड़ाई 20 मीटर और 3.1 किलोमीटर लंबाई को नष्ट कर, अनाधिकृत तौर पर अवैध खनन कर लिया गया है. अवैध खनन की जब मापी की गई तो नाला की 20 मीटर चौड़ाई और 3.1 किलोमीटर लंबाई सामने आया. नाले के दोनों किनारे पर 50 मीटर का ग्रीन बेल्ट बनाने का जो शर्त लगाया गया था. उसकी मापी करने पर कुल 37.20 हेक्टेयर में अवैध माईनिंग किए जाने की पुष्टि जांच रिपोर्ट में हुई है. इसके अलावे पकवा नाले के दोनों ओर 50 मीटर ग्रीन बेल्ट बनना था. लेकिन अब तक मात्र 15 मीटर ही ग्रीन बेल्ट बनाया गया है. अवैध माइनिंग से मानवीय, वनीय जीव-जंतु, पर्यवारण और कृषि को बहुत नुकसान होने की बात कही गई है.
कोयला खनन परियोजना के लिए मिल चुका है एफआई एमआई अवॉर्ड
एनटीपीसी पकरी बरवाडीह कोयला खनन परियोजना को भारतीय खनिज उद्योग संघ (एफआईएमआई) द्वारा पर्यावरण प्रबंधन एवं संरक्षण के क्षेत्र में किए गए कार्यों के लिए वर्ष 2019-20 का अभिराज बलदोटा पर्यावरण पुरस्कार भी मिला है. यह पुरस्कार खनन परियोजना संचालन में सर्वश्रेष्ठ एवं उत्कृष्ट पर्यावरण प्रबंधन प्रणाली, उत्कृष्ट वायु एवं जल प्रदूषण नियंत्रण, पर्यावरणीय मानकों का अनुपालन, खनन प्रक्रिया में उत्पन्न ठोस अपशिष्ट का समुचित प्रबंधन, खनन प्रक्रिया में उत्कृष्ट तकनीक का उपयोग तथा जल संरक्षण एवं हरित क्षेत्र के विकास के लिए दिया जाता है.
अवैध कार्यों में लिप्त है एनटीपीसी- मंटू सोनी
शिकायतकर्ता मंटू सोनी ने कहा कि दोमुहानी नाला को नष्ट कर अवैध माइनिंग का मामला उजागर हुआ है. भारत सरकार की कंपनी और देश में बिजली की सप्लाई देने के नाम पर एनटीपीसी के अधिकारी अवैध कार्यों में लिप्त हैं. इनको जिला प्रशासन का संरक्षण मिलता है. मंटू सोनी ने पूछा कि अगर एनटीपीसी भारत सरकार की कंपनी है तो नियम-कानून से ऊपर होकर अवैध कार्य करने का लाइसेंस तो नहीं मिला जाता है. जब भी इनके घपले-घोटाले उजागर होते हैं तो भारत सरकार की कंपनी और बिजली सप्लाई का नाम लेकर मूल बातों से भटकाने की कोशिश की जाती है.

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