झारखंड
NTPC और त्रिवेणी सैनिक ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़ाकर माइनिंग की
Renuka Sahu
18 Oct 2022 12:54 AM GMT
![NTPC and Triveni Sainik did mining by flouting the order of the Supreme Court NTPC and Triveni Sainik did mining by flouting the order of the Supreme Court](https://jantaserishta.com/h-upload/2022/10/18/2125520-ntpc-.webp)
x
न्यूज़ क्रेडिट : lagatar.in
हजारीबाग के बरवाडीह कोल परियोजना में एनटीपीसी और त्रिवेणी सैनिक माइनिंग कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़ाकर माइनिंग की.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हजारीबाग के बरवाडीह कोल परियोजना में एनटीपीसी और त्रिवेणी सैनिक माइनिंग कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़ाकर माइनिंग की. फॉरेस्ट क्लीयरेंस की शर्तों का भी खुलेआम उल्लंघन किया, लेकिन जिला प्रशासन और वन विभाग गहरी नींद में सोया रहा. चीफ सेक्रेटरी की सख्ती के बाद अब वन विभाग, पीसीसीएफ और डीएफओ रिपोर्ट-रिपोर्ट खेल रहे हैं. केंद्रीय वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने बरवाडीह कोल परियोजना के फोरेस्ट क्लियरेंस में शर्त लगाया था. स्टेज 1 के क्लियरेंस शर्त 7 और स्टेज 2 के क्लियरेंस शर्त संख्या 8 में पकवा और दुमुहानी नाला को संरक्षित करने की बात कही गई थी. दोनों ओर 50-50 मीटर के क्षेत्र में ग्रीन बेल्ट निर्माण करना था. जिसकी निगरानी राज्य सरकार और वन विभाग को करना था.
मुख्य सचिव के निर्देश के बाद पीसीसीएफ ने डीएफओ से मांगी रिपोर्ट
एनटीपीसी की माइंस डेवलपर ऑपरेटर त्रिवेणी-सैनिक माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड ने फॉरेस्ट क्लियरेंस की शर्तों का उल्लंघन कर दुमुहानी नाला (नदी) को नष्ट कर अवैध माइनिंग की. इसकी शिकायत स्थानीय निवासी मंटू सोनी ने केंद्रीय मंत्रालय में की थी, जिसपर कार्रवाई करते हुए केंद्रीय मंत्रालय ने मुख्य सचिव से रिपोर्ट मांगी है. फिर मुख्य सचिव ने वन विभाग के प्रधान सचिव से रिपोर्ट मांगी. प्रधान सचिव ने पीसीसीएफ से रिपोर्ट मांगी और पीसीसीएफ ने डीएफओ से रिपोर्ट मांगी है. डीएफओ ने अवैध माईनिंग किये जाने की रिपोर्ट जुलाई महीने में ही बनाकर वरीय अधिकारियों को भेज दी है, जिसमें उन्होंने फॉरेस्ट क्लियरेंस की शर्तों का उल्लंघन कर दुमुहानी नाला को नष्ट कर अवैध माइनिंग किये जाने की पुष्टि की है.
सोता रहा वन विभाग और जिला प्रशासन
त्रिवेणी सैनिक माइनिंग कंपनी ने एनटीपीसी का नाम आगे कर स्थानीय प्रशासन को मैनेज कर अवैध खनन जारी रखा. सार्वजनिक उपयोग और महत्व की स्थलों,नदियों, नालों,तालाबों का अतिक्रमण कर उन्हें नष्ट करते रहा. क्षेत्र के दुमुहानी (जीवनरेखा) जल श्रोत की 3.1 किलोमीटर लंबाई तक खनन हुई. करीब सौ एकड़ जमीन में अवैध माइनिंग किया गया. जिसमें महीनों नहीं सालों का समय लगा. मंटू सोनी की शिकायत के बाद वन विभाग की नींद खुली और फंसने के डर से आनन-फानन में अवैध माइनिंग की रिपोर्ट बनाकर खानापूर्ति की गई.
फॉरेस्ट क्लियरेंस की शर्तों में संशोधन का आवेदन देकर कर लिया अवैध खनन
एनटीपीसी द्वारा दुमुहानी नाला को मौसमी नाला/पुननिर्माण के लिए अनापत्ति पत्र के लिए आवेदन झारखंड सरकार के वाटर रिसोर्स डिपार्टमेंट को दिया था. विभाग में चीफ इंजीनियर अशोक कुमार ने वर्षा जल संचयन के पुननिर्माण के लिए वर्ष 2013 में इस शर्त पर अनापत्ति प्रमाण पत्र दिया कि उसे "वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत पर्यावरण और वन मंत्रालय भारत सरकार" से अनापत्ति आदेश लेना होगा और" पानी-पर्यावरण की उपलब्धता पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ना" चाहिए. इस आदेश के पांच साल छह महीने बाद 2018 को एनटीपीसी ने दुमुहानी नाला की शर्तों में संशोधन करने के लिए केंद्रीय मंत्रालय के वन महानिदेशक को आवेदन दिया था. आवेदन अभी तक लंबित है और इधर दुमुहानी नाला को अवैध खनन कर नष्ट भी कर दिया गया है.
फॉरेस्ट क्लियरेंस के आदेश के पहले की गई माईनिंग अवैध- सुप्रीम कोर्ट
पटना हाईकोर्ट के सीनियर वकील नवेंदु कुमार ने बताया कि अवैध खनन की पुष्टि होने के बाद एनटीपीसी यह तर्क दे रहा है कि फॉरेस्ट क्लियरेंस की शर्तों में दुमुहानी नाला से संबंधित शर्तों का संशोधन करने के लिए आवेदन दिया गया है. इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने 6 जून 2022 को मेसर्स बालासोर अलॉयज लिमिटेड बनाम ओडिशा राज्य IA no 81251/2022 ,dairy no 16747 / 2022 में सुनवाई की. इस दौरान जस्टिस शाह ने कहा था कि "फॉरेस्ट क्लियरेंस के आवेदन लंबित हैं तो इसे फॉरेस्ट क्लियरेंस नहीं माना जा सकता, अगर फॉरेस्ट क्लियरेंस के आदेश के बिना खुदाई की जाती है तो वह अवैध" है. किसी को उत्खनन जारी रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती" और ओडिशा हाईकोर्ट पर टिप्पणी करते यह कहा था कि "यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि हाईकोर्ट यथास्थिति के आदेश पारित कर रहे हैं और फॉरेस्ट क्लियरेंस के बिना अवैध खनन जारी रहा है.
Next Story