राँची: राज्य में गैस्ट्रो की समस्या से परेशान मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. कई बार लोग तेज पेट दर्द सहित अन्य समस्या के साथ रात में अस्पताल पहुंचते हैं. सही इलाज शुरू करने के लिए अल्ट्रासाउंड की आवश्यकता पड़ती है. पर शाम सात बजे के बाद अगर किसी मरीज को राजधानी में अल्ट्रासाउंड कराने की जरूरत हुई तो वो नहीं हो सकेगा.
राजधानी के सरकारी और प्राइवेट लगभग सभी जांच घर सुबह सात बजे से शाम सात बजे के बाद यह जांच नहीं करते. वहीं सरकारी अस्पतालों में यह परेशानी पांच बजे के बाद से ही शुरू हो जाती है. रिम्स और सदर अस्पताल में तो मरीजों को अल्ट्रासाउंड के लिए दस से बारह दिनों तक का नंबर मिल रहा है.
सदर में गर्भवती महिलाओं की होती है जांच सदर अस्पताल मे गर्भवती महिलाओं की जांच चौबीस घंटे होती है. सिविल सर्जन डॉ प्रभात के अनुसार गर्भवती महिलाओं और गर्भ के शिशुओं के स्थिति का पता लगाने के लिए अल्ट्रासोनोग्राफी स्त्रत्त्ी रोग विशेषज्ञ करती है. यह सुविधा हर वक्त मिल जाता है. पर अन्य मरीजों के लिए ट्रेंड रेडियोलॉजिस्ट की जरूरत होती है, जिसकी कमी है इसलिए सिर्फ पांच बजे शाम तक ही किया जाता है. वहीं उन्होंने बताया कि प्रसव कराने वाले सभी अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं की जांच की जाती है.
पीपीपी मोड पर संचालित केंद्र में भी नहीं मिलती सुविधा रिम्स में पीपीपी मोड पर संचालित हेल्थमैप में भी शाम छह बजे के बाद रेडियोलॉजिस्ट नहीं होते. ऐसे में हर दिन मरीजों को अल्ट्रासाउंड के लिए भी अगली सुबह तक का इंतजार करना पड़ता है. बता दें कि शाम पांच बजे के बाद इलाज नहीं होने से हर दिन दर्जनों मरीजों का इलाज सही से नहीं हो पाता. दर्द से कराहते मरीजों को रिर्पोट आने तक सिर्फ अंदाज पर ही चिकित्सक इलाज करते रहते हैं.
रांची के सिविल सर्जन डॉ प्रभात कुमार ने कहा कि रेडियोलॉजिस्ट की संख्या पर्याप्त नहीं होने से सिर्फ शाम पांच बजे के बाद अल्ट्रासाउंड की सुविधा नहीं दी जा रही है. सदर अस्पताल में सीटी स्कैन की सुविधा शुरू होनी है, इसके लिए रेडियोलॉजिस्ट की बहाली की जाएगी. जल्द ही सदर में भी रात में भी अल्ट्रासाउंड की सुविधा शुरू करने की कोशिश की जाएगी.