झारखंड

मानगो के प्रमुख बाजारों में ‘आधी आबादी’ के लिए शौचालय नहीं

Admindelhi1
27 Feb 2024 6:12 AM GMT
मानगो के प्रमुख बाजारों में ‘आधी आबादी’ के लिए शौचालय नहीं
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महिलाओं के लिए आजतक शौचालय नहीं बन पाया

जमशेदपुर: तीन लाख की आबादी वाले मानगो में नगर निगम होने के बावजूद आधी आबादी यानी महिलाओं के लिए आजतक शौचालय नहीं बन पाया। तेजी से बढ़ रहे बाजार में एक ही सुलभ शौचालय है, जबकि पांच छोटे शौचालय सड़कों के किनारे बनाए गए हैं। इनमें सुलभ शौचालय गांधी मैदान के पास है। इसके अलावा स्वच्छता अभियान के तहत पांच शौचालय बनवाए गए हैं। इनमें एक मानगो गोलचक्कर, एक वन विभाग कार्यालय के समीप, दो डिमना रोड में जबकि एक एनएच-33 के किनारे बिजली विभाग के ऑफिस के निकट है। एक सुलभ शौचालय के साथ अन्य पांचों शौचालयों की स्थिति ठीक नहीं है। रखरखाव का घोर अभाव है। हमेशा गंदगी फैली रहती है। इन पांचों में यूरिनल के अलावा सिर्फ एक शौचालय है, जिसमें अक्सर ताला बंद रहता है। इनकी चाबी कहां रहती है, यह भी किसी को पता नहीं है। इन शौचालयों में महिलाएं जाने से कतराती हैं।

पूरे मानगो की बात करें तो छोटी-बड़ी लगभग 3000 से ज्यादा दुकानें हैं, जहां रोज लगभग 10 हजार से ज्यादा महिला ग्राहक खरीदारी करने घरों से बाजार आती हैं। इन महिलाओं को बाजार में देर तक रुकना पड़ा तो परेशान हो जाती हैं। मानगो बाजार में कोई बहुत बड़ा मॉल भी नहीं है कि महिलाओं के लिए अलग से शौचालय हो। ऐसे में महिलाओं को शौचालय की जरूरत महसूस होने पर जल्दी खरीदारी कर घर ही जाना पड़ता है। यहीं नहीं, दुकानदारों में हजार से ज्यादा ऐसी छोटी-बड़ी महिला दुकानदार या स्टाफ हैं, जिन्हें रोज बाजार में सुबह से शाम तक रहना पड़ता है। इन महिलाओं को शौचालय के लिए रोज परेशानी झेलनी पड़ती है। मानगो और डिमना रोड में सब्जी बेचने वाली ज्यादातर महिलाएं आती हैं। उन्हें रोज शौचालय की समस्या से दो-चार होना पड़ता है।

हर दो दिन पर बाजार आना ही पड़ता है। शौचालय सबसे ज्यादा जरूरी है। शौचालय नहीं होने पर ज्यादा बुजुर्गों को दिक्कत होती है। पिंक टॉयलेट बहुत ही पुराना कांसेप्ट है, लेकिन मानगो नगर निगम के इलाके में एक भी नहीं है। सार्वजनिक शौचालय हैं। कोई स्कीम आने पर पिंक टॉयलेट का भी निर्माण कराया जाएगा। पुरुषों के चलते सार्वजनिक शौचालय में महिलाएं संकोच करती हैं। कई बार बाजार आने के बाद अगर जरूरत पड़ती है तो जैसे-तैसे काम का निपटारा हो जाए, ऐसी कोशिश करती हैं।

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