राँची न्यूज़: राज्य के विभिन्न जिलों में लगातार लू लगने से मौत के आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं. बावजूद इसके राज्य के अस्पतालों में हीट स्ट्रोक के मरीजों के लिए डेडिकेटेड बेड की समुचित व्यवस्था नहीं की गई. परिजनों के लिए हवा-पानी की सुविधा तो दूर पूर्व से भर्ती मरीजों को भी गर्मी से बचाने के समुचित इंतजाम नहीं किए गए हैं.
यह स्थिति तब है, जबकि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अभियान निदेशक ने एक मार्च को ही सभी सिविल सर्जनों को पत्र भेजकर मार्च-जुलाई तक पड़ने वाली भीषण गर्मी से अलर्ट करते हुए अस्पतालों में हीट स्ट्रोक के मरीजों के लिए पर्याप्त इंतजाम करने एवं जोखिम वाले मरीजों के लिए आउटरिच क्लिनिक की व्यवस्था करने का निर्देश दिया था. सदर अस्पताल रांची समेत कुछ जिलों में खानापूर्ति करते हुए डेडिकेटेड बेड के रूप में 10-20 बेड चिह्नित तो हुए, पर मरीजों व परिजनों की सुविधाएं कागजों में ही सिमटी रहीं.
राज्य के सबसे बड़े अस्पताल में एक भी वाटर कूलर नहीं
राज्य के अन्य जिला अस्पतालों में इंतजाम क्या होंगे, इसका अंदाजा रिम्स की व्यवस्था से स्वत लगाया जा सकता है. राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में मरीज या परिजनों के लिए एक भी वाटर कूलर नहीं है. सरकार ने मरीजों के लिए एयर कूलर लगाने के निर्देश दिए थे, जबकि अत्याधुनिक सदर अस्पताल, रांची में तो ये व्यवस्था नहीं हो सकी, रिम्स में भी नहीं है. यही नहीं, रिम्स के विभिन्न वार्डों में जहां पहले से एसी लगे हैं, वे भी नहीं चलते हैं.
निर्देश का पालन नहीं, कई बीमारियों का खतरा बढ़ा
तापमान में वृद्धि व गर्म हवाओं के कारण शरीर में पानी की कमी, सिर दर्द, कार्डियोवैस्कुलर कंप्लीकेशन, हीट-ब्रेन स्ट्रोक की समस्या होती है. इसका समय पर उपचार जरूरी है. अभियान निदेशक ने इसके लिए सभी सिविल सर्जनों को हीट रिलेटेड इलनेस से निपटने के स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर के संबंध में सभी चिकित्सक व पारामेडिकल स्टाफ का उन्मुखीकरण कराने का निर्देश दिया था.