झारखंड

बड़कागांव में सालाना बीस करोड़ से ऊपर की हो रही है कोयले की तस्करी

Renuka Sahu
17 March 2024 7:11 AM GMT
बड़कागांव में सालाना बीस करोड़ से ऊपर की हो रही है कोयले की तस्करी
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जिले का बड़कागांव प्रखंड को कभी कृषि के कारण ख्याति हासिल थी. आज कोयले के कारण यह प्रखंड सूबे में बदनाम है.

हजारीबाग : जिले का बड़कागांव प्रखंड को कभी कृषि के कारण ख्याति हासिल थी. आज कोयले के कारण यह प्रखंड सूबे में बदनाम है. यदि हाल ऐसे ही रहे तो वह दिन दूर नही जब यहां भी धनबाद कोयलांचल की तरह माफिया राज का उदय होगा. बंदूके गरजेगी, लाशे गिरेंगी. एक आंकड़ों के मुताबिक आज की तारीख में सिर्फ बड़कागांव इलाके से सालाना बीस करोड़ रुपए के कोयले की तस्करी हो रही है. कोयले के इस काले धंधे को स्थानीय पुलिस से लेकर जनप्रतिनिधियों तक का संरक्षण हासिल है.

बड़कागांव कर्णपुरा क्षेत्र में एनटीपीसी, सीसीएल, हिंडाल्को, अदानी को मिले कोल ब्लाक कोयला तस्करों के लिए वरदान साबित हो रहे है. कोल माफिया यहां खुले आम कोयले का अवैध खनन कर रहे है. स्थानीय लोग बताते हैं की कोयले के इस खेल को वन विभाग,स्थानीय पुलिस, खनन विभाग, जिला प्रशासन का भी समर्थन प्राप्त है. यही कारण है की ये सभी एजेंसियां सब कुछ जानते, सुनते,देखते हुए भी अपनी आंखे बंद किए रहती है.
कोयले की खपत
स्थानीय लोग बताते हैं कि इलाके के गोंदलपुरा, बादम, महुदी, अंबाजीत, लोकरा आदि गांवों में संचालित चिमनी भट्ठों में अवैध खनन से निकाले गए कोयले का इस्तेमाल भी बड़े पैमाने पर पर रहा है. लोग बताते हैं की इलाके में करीब दो दर्जन चिमनी भट्ठे चल रहे है. एक चिमनी भट्ठे में एक बार ईंटो को पकाने के लिए कम से कम 100 ट्रैक्टर कोयले की जरूरत होती है. एक ट्रैक्टर में तीन टन कोयला रहता है. जिसकी कीमत लगभग 24 हजार के करीब होती. इससे ही अनुमान लगाया जा सकता है की इन चिमनी भट्टा में कितने के कोयले की खपत तस्कर कर रहे है. सूत्र यह भी बताते हैं की बड़कागांव से तस्कर रोज दो से तीन ट्रक कोयला बिहार और बनारस की मंडियों में भी खपा रहे है. कोयले को रात के अंधेरे में इन मंडियों में बिना पेपर के भेजा जा रहा है. रूदी, मोइत्रा, गोंदलपुर के जंगलों से इस अवैध कोयले को भेजा जाता है.


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