रांची. झारखंड के विभिन्न सरकारी विद्यालयों में अवकाश को लेकर चल रहे विवाद के बाद मामला तुल पकड़ने लगा है. इस मुद्दे पर अब राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने मुख्य सचिव सुखदेव सिंह को पत्र लिखकर 10 दिन में रिपोर्ट मांगी है. आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने मुख्य सचिव से गढ़वा समेत राज्य में कई जगहों के स्कूलों में साप्ताहिक अवकाश रविवार की जगह शुक्रवार करने पर स्थिति स्पष्ट करने को कहा है.
उन्होंने पत्र में लिखा है कि किस आदेश के तहत यह काम किया जा रहा है. पूरे प्रकरण की जांच कर आयोग को 10 दिन में रिपोर्ट भेजी जाए. आयोग ने स्पष्ट किया है कि इस संबंध में गढ़वा के उपायुक्त से भी रिपोर्ट मांगी गई थी, लेकिन अब तक उन्होंने रिपोर्ट नहीं दी है. भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष आरती कुजूर ने भी पत्र लिखा है कि सरकारी विद्यालयों में रविवार की बजाए शुक्रवार को छुट्टी का दिन निर्धारित किया गया है. ऐसा करने से समाज और स्कूल में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं में विद्वेष की भावना उत्पन्न हो सकती है.
खास समुदाय द्वारा मध्य विद्यालय, कोरवाडीह के प्रधानाध्यापक योगेश राम पर दबाव देकर कहा गया कि स्थानीय स्तर पर मुस्लिमों की आबादी 75 प्रतिशत है, इसलिए नियम भी उनके अनुरूप ही बनाने होंगे. स्कूल की प्रार्थना भी उनके हिसाब से होगी. स्कूल में दया कर दान विद्या का…प्रार्थना को बंद करवा कर तू ही राम है तू ही रहीम है प्रार्थना शुरू करने का दबाव डाला गया.
राज्य के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने इस मुद्दे पर विभिन्न जिलों में तैनात शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बात की थी. इस दौरान उन्होंने पूछा था कि सरकार के आदेश के बगैर ये व्यवस्था कैसे बहाल हो गई? कुछ अफसरों ने कहा था कि स्कूलों की देखरेख के लिए गठित ग्राम शिक्षा समितियों के दबाव में शिक्षकों ने ये व्यवस्था लागू कर दी. इस पर मंत्री ने आदेश दिया कि इस तरह की हिमाकत करने वाली ग्राम शिक्षा समितियों को तत्काल भंग किया जाए.
झारखंड के मंत्री जगरनाथ महतो ने अफसरों को कहा था कि इससे ये साबित होता है कि आप लोग विद्यालयों का निरीक्षण नहीं करते. ये कैसे हो सकता है कि ग्राम शिक्षा समितियां सरकारी आदेश की अनदेखी पर अपने कायदे-कानून लागू कर दें. मालूम हो कि झारखंड की उप राजधानी दुमका के 33 सरकारी स्कूलों में रविवार की बजाय शुक्रवार को छुट्टी रहती है. इन स्कूलों के आगे या फिर पीछे 'उर्दू' शब्द जुड़ा हुआ है. यानी ऐसे करीब 33 विद्यालय मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में हैं. दरअसल झारखंड के जामताड़ा जिले से शुरू हुआ ये मामला अब झारखंड की उप राजधानी जिला दुमका तक आ पहुंचा है.