झारखंड

झारखंड में मॉनसून ने दिया दगा! राज्य को सूखाग्रस्त घोषित करने की तैयारी में हेमंत सरकार

Renuka Sahu
27 July 2022 2:26 AM GMT
Monsoon has hit Jharkhand! Hemant government preparing to declare the state drought-hit
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फाइल फोटो 

झारखंड में सुखाड़ की आशंका को लेकर कृषि विभाग सतर्क हो गया है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। झारखंड में सुखाड़ की आशंका को लेकर कृषि विभाग सतर्क हो गया है। राज्य को सूखाग्रस्त घोषित करने की तैयारी पूरी कर ली गयी है। कृषि विभाग इसकी विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने में जुट गया है। रिपोर्ट तैयार होते ही कृषि और आपदा प्रबंधन विभाग की जल्द बैठक होगी। इसके बाद आपदा प्रबंधन राज्य को सूखाग्रस्त घोषित करने की कार्रवाई करेगा।

मंगलवार को कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने विभागीय अधिकारियों, कृषि विज्ञान केंद्र और बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के साथ सूखे के हालात पर मंथन किया। कृषि मंत्री ने कहा कि झारखंड में खरीफ की फसल बुरी तरह प्रभावित हुई है। बैठक के बाद कृषि मंत्री बादल ने स्वयं आपदा प्रबंधन विभाग के मंत्री बन्ना गुप्ता से मिलकर सूखे की हालात पर चर्चा की। दोनों विभागीय मंत्रियों ने माना कि झारखंड के किसानों को राहत देने के लिए राज्य को सूखाग्रस्त घोषित करने के लिए जो भी जरूरी होगा उसे जल्द अमल में लाया जाएगा। आपदा प्रबंधन मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि मॉनसून की बेरुखी से जो हालात बन रहे हैं उसमें राज्य को जल्द ही सूखाग्रस्त घोषित करने की कार्रवाई होगी। किसानों को जल्द राहत देने के लिये सरकार हरसंभव प्रयास करेगी वहीं, कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि राज्य में भीषण सुखाड़ की आशंका प्रबल होती जा रही है। सबसे कम बारिश की वजह से बुआई का काम काफी प्रभावित हुआ है। राज्य को सुखाड़ घोषित करने की कार्रवाई की जा रही है।
राज्यभर के 21 जिलों में स्पेशल केयर की जरूरत
कृषि विभाग ने मंगलवार को सूखे की स्थिति पर गंभीर मंथन किया। कृषि मंत्री बादल ने कहा कि अब तक औसत से 51 फीसदी कम बारिश हुई है। राज्य के कुल 21 जिलों में स्पेशल केयर करने की जरूरत है। 24 जिलों से से दो जिलों पूर्वी एवं पश्चिमी सिंहभूम को छोड़कर शेष जिलों की वर्षापात की रिपोर्ट चिंता में डालनेवाली है। बैठक में इस पर भी चर्चा हुई कि धान में सबसे ज्यादा नुकसान दिखाई दे रहा है। अभी तक धान, मक्का, दलहन और तेलहन की खेती लक्ष्य के मात्र 22 प्रतिशत ही हुई है।
75 फीसदी बीज सब्सिडी अनुदान पर भी विचार
वहीं बैठक में राज्य में बारिश कम होने की वजह से उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिए शॉर्ट टर्म और वैकल्पिक फसल पर जोर देने की जरूरत हैं। मौजूदा परिस्थिति में किसानों को बीज वितरण में जो 50 फीसदी की सब्सिडी मिलती है उसे बढ़ाकर 75 प्रतिशत सब्सिडी अनुदान देने की जरूरत है। सुखाड़ की स्थिति में भी संभावनाओं की तलाश पर भी चर्चा हुई। जारी रखी जाए। अगर भविष्य में सुखाड़ जैसे हालात बनते हैं तो केंद्र सरकार से अनुदान के लिए राज्य सरकार की ओर से मजबूत तरीके से दावेदारी पेश की जानी चाहिए।
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