झारखंड

10 लाख तिरंगा का कर रही निर्माण, SHG महिलाओं के चेहरे पर सतरंगी मुस्कान

Gulabi Jagat
28 July 2022 2:02 PM GMT
10 लाख तिरंगा का कर रही निर्माण, SHG महिलाओं के चेहरे पर सतरंगी मुस्कान
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SHG महिलाओं के चेहरे पर सतरंगी मुस्कान
Ranchi : देश में आजादी के अमृत महोत्सव की धूम है. आजादी के आज़ादी के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में इस महोत्सव का आयोजन देश भर में हो रहा है. इसी क्रम में 13 से 15 अगस्त तक हर घर तिरंगा अभियान चलाया जायेगा. इस अभियान में झारखंड के सखी मंडल की महिलाएं एक बार फिर महत्वपूर्ण भूमिका में हैं. अभियान के लिए सखी मण्डल की महिलाओं को 10 लाख तिरंगा निर्माण का लक्ष्य दिया गया है. इसके लिए राज्य के विभिन्न ज़िलों में स्थापित TPC सेंटर (परिधान उत्पादन ट्रेनिंग-सह-प्रोडक्शन सेंटर) में समूह की महिलाएँ दिन-रात काम में लगी हैं. तिरंगा निर्माण के काम में लगी महिलाओं के चेहरे पर अब सतरंगी मुस्कान दिख रही है.
तिरंगा निर्माण बहुत ही सम्मान के साथ-साथ जिम्मेदारी का कार्य है. इसलिए तिरंगा निर्माण से जुड़ी लगभग 1,000 से ज्यादा ग्रामीण महिलाओं को 'ध्वज कोड 2002' के मानकों के अनुसार राष्ट्रीय ध्वज निर्माण हेतु प्रशिक्षित किया गया है. रांची TPC में तिरंगा निर्माण से जुडी सविता देवी ने बताया कि "झंडा बनाने के पहले उन्हें ट्रेनिंग देकर बताया गया कि तिरंगा का अनुपात 3:2 रखना है. सिलाई के समय ध्यान रखना है कि अलग रंग के धागे एक दुसरे में न जुड़ें. इसी तरह से कई बातें बताई गई हैं. सभी माहिलाएं इस कार्य से जुड़कर बहुत खुश हैं. गौरवान्वित महसूस कर रही हैं. साथ ही हमें इससे अच्छी आमदनी भी हो रही है.
सविता की तरह किरण देवी भी तिरंगा तैयार करने में लगी हैं. कहती हैं कि "देश के सम्मान को बढ़ाने के लिए हर घर तिरंगा फहराया जाएगा. यह तिरंगा हमारे हाथों से तैयार होकर जाएगा. यह खास है. कोरोना के समय भी हमने मास्क बनाकर देश की सेवा में अपना योगदान दिया था लेकिन राष्ट्रध्वज को तैयार करने के इस कार्य में एक अलग ही खुशी महसूस हो रही है.तिरंगा को अंतिम रूप देने से पहले कई स्टेज पर काम होता है जैसे सिलाई के लिए गाइड लाइन का पालन करते हुए मशीने से सही आकर में काटा जाता है, इसके बाद महिलाओं द्वारा सिलाई की जाती है. सिलाई उपरांत इसकी जांच की जाती है कि कहीं कोई त्रुटि ना हो. इसके बाद आखिरी स्टेज में स्क्रीन प्रिंटिंग के जरिये आशोक चक्र बनाकर इसकी पैकेजिंग की जाती है. यह सारा काम महिलाओं द्वारा ही किया जा रहा है.
घर-घर लोगों को जागरूक भी करेंगी महिलाएं
हर घर तिरंगा अभियान के तहत सभी TPC में निर्मित यह झंडे संकूल स्तरीय संगठन के जरिये सभी सखी मंडल सहित सभी घरो तक पहुचाएं जायेंगे. सखी मंडल की ये महिलाएं सिर्फ राष्ट्रध्वज निर्माण नहीं बल्कि आज़ादी के 75वें वर्षगाँठ पर लोगों के घरों में जाकर उन्हें पोस्टर, बैनर्स, वीडियो आदि के माध्यम से राष्ट्रध्वज के महत्व और उसकी गरिमा के विषय में जानकारी भी देंगी. इन महिलाओं को प्रशिक्षण देकर ध्वज संहिता के बारे में बारीकी से बताया गया है.




Source: newswing.com


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