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छात्र संघ का चुनाव विद्यार्थियों के लिए काफी अहम होता है. जब चुनाव का समय आता है तो पूरे कॉलेज का माहौल बदल जाता है. सभी इसे लेकर अपनी राय देने लगते हैं. कैंडिडेट पर चर्चा शुरू हो जाती है. यह उनके लिए एक उत्सव जैसा होता है. लेकिन कोरोना की वजह से कई साल से कॉलेज में छात्र संघ का चुनाव बंद है. इसे लेकर विद्यार्थियों की क्या सोच है,
सौरभ कुमार
बिरसा कॉलेज खूंटी के छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष व सचिव सौरभ कुमार चुनाव नहीं होने को लेकर सवाल उठा रहे हैं. उनका कहना है कि छात्रों की आवाज व समस्याओं को कॉलेज व विश्वविद्यालय तक पहुंचाने वाले छात्र संघ का चुनाव पिछले तीन वर्षों से रांची विश्वविद्यालय में नहीं हो पाया है. रांची यूनिवर्सिटी में पिछला छात्र संघ चुनाव सितंबर 2019 में हुआ था, जो कि एक वर्ष के लिए मान्य होता है. कहा कि कोरोना काल के समय से लेकर अब तक छात्रों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ है. लेकिन उनकी बात विश्वविद्यालय तक पहुंचाएगा कौन? पिछले तीन सालों से यूनिवर्सिटी ने छात्र संघ चुनाव के लिए बिल्कुल भी गंभीरता नहीं दिखाई है. यह बड़ सवाल है. जबकि इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए.
सौरभ कुमार ने कहा कि आम छात्र जब अपनी समस्या लेकर कॉलेज या विश्वविद्यालय के अधिकारियों के पास जाते हैं तो उन्हें या तो अधिकारी कार्यालयों से गायब मिलते हैं या सिर्फ उन्हें चक्कर ही लगवाया जाता है. समाधान पर विश्वविद्यालय के अधिकारियों का ध्यान ही नहीं जाता है. ऐसे में छात्रों के हक की लड़ाई लड़ेगा कौन? छात्रों के हक की आवाज उठाने वाले छात्र संघ का चुनाव ना कराकर विश्वविद्यालय प्रबंधन छात्रों की आवाज को दबाने का प्रयास कर रही है. छात्र हित को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन को जल्द से जल्द छात्र संघ चुनाव कराने पर विचार करना चाहिए.
Source: lagatar.in
Gulabi Jagat
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