झारखंड

Lohardaga: सदर अस्पताल में स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल

Tara Tandi
11 Aug 2024 1:38 PM GMT
Lohardaga: सदर अस्पताल में स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल
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Lohardaga लोहरदगा: जिले के मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं एवं शत-प्रतिशत लाभ मिले इसे लेकर सदर अस्पताल लोहरदगा में प्रत्येक महीने काफी पैसे खर्च किये जा रहे हैं. लेकिन यहां की लचर व्यवस्था से सरकार के सारे प्रयास बेकार साबित हो रहे हैं. सदर अस्पताल में मरीजों के लिए निःशुल्क सेवा है, लेकिन भर्ती होने के बाद मरीजों को पैसे खर्च कर बाहर से दवा और स्लाइन लाकर इलाज करवाना पड़ता है. सदर अस्पताल में स्वास्थ्य व्यवस्था दिन प्रतिदिन दुरुस्त होने की बजाए लचर होती जा रही है. आए दिन अस्पताल कर्मियों द्वारा गरीब मरीजों के शोषण की शिकायत आती रहती है. मरीजों को अस्पताल में दवाई देने के बजाय उन्हें बाहर से दवाई लाने के लिए कहा जाता है. सिर्फ इतना ही नहीं अस्पताल कर्मियों के बिगड़े बोल से मरीज और उनके परिजनों में आक्रोश पनपने लगा है. सदर अस्पताल कर्मियों के बिगड़े बोल के बाद भी इन पर कोई
कार्रवाई नहीं हो रही है.
सदर अस्पताल में कार्यरत कर्मियों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं होने के कारण इनका मनोबल दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है. इस बात का खुलासा तब हुआ जब लोहंजारा निवासी नौशाद अंसारी की पुत्री इफत खातून को परिजन सदर अस्पताल में भर्ती कराने पहुंचे थे. तब आवश्यक जांच के दौरान स्लाइन सेट, डीएनएस फ्लुएड आदि बाहर से लाने को बोला गया. इससे यह प्रतीत होता है कि सरकार सदर अस्पताल में व्यापक रूप से मरीजों के सहुलियत के लिए दवा और स्लाइन समेत अन्य सभी सुविधाएं उपलब्ध कराती है. फिर भी मरीजों को सदर अस्पताल से निःशुल्क स्वास्थ्य लाभ प्राप्त नहीं हो पा रहा है. जिससे लोगों में नाराजगी बढ़ती जा रही है.
अस्पताल के अंदर और बाहर गंदगी की अंबार
सदर अस्पताल में पूरे जिले से प्रतिदिन सैकड़ों मरीज आते हैं. ऐसे में अस्पताल के अंदर और बाहर साफ-सफाई की व्यवस्था ठीक नहीं रहने से मरीजों और उनके साथ आने वाले लोगों को काफी मुश्किलों से गुजरना पड़ता है. मरीजों और उनके परिजनों के मुताबिक सदर अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचने पर साफ-सफाई के अभाव से बीमार व्यक्ति ठीक होने के बदले और बीमार हो जाते हैं. आलम यह है कि मरीजों और परिजनों को अस्पताल के अंदर और बाहर थोड़ी देर तक रूकना मुश्किल हो जाता है. इस मामले को लेकर जब सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ शंभू नाथ चौधरी से फोन पर संपर्क स्थापित किया गया तो पूरा रिंग होने के बाद भी डीएस ने फोन रिसिव करना उचित नहीं समझा.
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