झारखंड

फसल पर नजर रखने के आधुनिकतम तकनीक का लिया सहारा, सीसीटीवी से की जा रही निगरानी

Shantanu Roy
30 Nov 2021 7:24 AM GMT
फसल पर नजर रखने के आधुनिकतम तकनीक का लिया सहारा, सीसीटीवी से की जा रही निगरानी
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दुनिया भर में स्ट्रॉबेरी की लगभग 600 किस्म है. भारत में भी अब व्यावसायिक दृष्टिकोण से स्ट्रॉबेरी की खेती होने लगी है. किसान इसकी खेती बड़े स्तर में करने लगे हैं.

जनता से रिश्ता। दुनिया भर में स्ट्रॉबेरी की लगभग 600 किस्म है. भारत में भी अब व्यावसायिक दृष्टिकोण से स्ट्रॉबेरी की खेती होने लगी है. किसान इसकी खेती बड़े स्तर में करने लगे हैं. अब हजारीबाग में स्ट्रॉबेरी की खेती अब बड़े पैमाने पर की जा रही है. महंगा फल होने के कारण हजारीबाग में एक किसान ने अपने खेत के बड़े भूभाग में स्ट्रॉबेरी की खेती तो की है लेकिन उस पर पहरा भी लगा दिया है. पहरा देता है सीसीटीवी कैमरा.हजारीबाग में स्ट्रॉबेरी की खेती अब किसानों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है. स्ट्रॉबेरी ठंडी जलवायु की फसल है. इसे मैदानी इलाकों में सफलतापूर्वक लगाया जाता है. लेकिन अब झारखंड के पठारी क्षेत्र हजारीबाग में भी मौसम के अनुसार उपजाया जा रहा है. लाल रंग की दिखने वाली स्ट्रॉबेरी जितनी स्वादिष्ट होती है उतनी ही सेहतमंद भी. स्ट्रॉबेरी की कीमत भी बाजार में अच्छी खासी है. वर्तमान समय में लगभग 400 से ₹500 किलो स्ट्रॉबेरी बाजार में उपलब्ध है. आकर्षक और स्वादिष्ट होने के कारण लोग इसकी और खींचे चले आते हैं. हजारीबाग के कटकमदाग प्रखंड के सुलना गांव में स्ट्रॉबेरी की खेती की जा रही है. किसान कहते हैं कि इस खेती में अपार संभावनाएं हैं और मुनाफे की खेती भी है. इसलिए यह आज के समय में बेहतर विकल्प बनकर उभरा है. इस कारण हम लोग अब स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं. आमतौर पर एक एकड़ स्ट्रॉबेरी की फसल में 2 से 3 लाख रूपये की लागत आती है. पैदावार होने के बाद खर्च निकाल लिया जाए तो लगभग 5 से 6 लाख का मुनाफा भी होता है.

क्योंकि स्ट्रॉबेरी महंगी फसल है. लाल रंग लोगों को आकर्षित भी करता है. बाजार में महंगा होने के कारण बहुत कम लोग ही इसका स्वाद चख पाते हैं. ऐसे में भय होता है कि स्ट्रॉबेरी की चोरी ना हो जाए. इसे देखते हुए कटकमदाग में किसान ने स्ट्रॉबेरी की फसल तो लगा दी है लेकिन उसे भय था कि स्ट्रॉबेरी चोरी ना हो जाए. क्योंकि खेत दूर है. जहां घर है वहां से स्ट्रॉबेरी पर नजर रखना चुनौती से कम नहीं है. इसलिए किसान ने अपने स्ट्रॉबेरी पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरा लगा दिया है. यही नहीं सीसीटीवी कैमरा को वाई-फाई से जोड़ा गया है ताकि घर से भी बैठकर मॉनिटरिंग की जा सके. यही नहीं अगर घर पर नहीं हैं तो मोबाइल पर भी अपने खेत को देख सकें. किसान कहते हैं कि सीसीटीवी लगाने से लोगों में भय रहता है. साथ ही साथ किसान का यह भी कहना है बड़ा भूभाग होने के कारण हमेशा खेत में मजदूर भी लगे रहते हैं. ऐसे में मजदूर भी फल को नुकसान ना पहुंचाए इसलिए हम लोगों ने सीसीटीवी कैमरा खेत में लगाया है.
वहीं महिला किसान बताती हैं कि हम लोग पहले आलू टमाटर की खेती किया करते थे. लेकिन पहली बार हम लोग पूना से लगभग 40-50 हजार खर्च कर पौधा मंगाये हैं और अब यह पौधा फल देना शुरू कर दिया है. वर्तमान समय में लगभग 20 किलो के आसपास स्ट्रॉबेरी हम लोग बेच चुके हैं. जिसमें अच्छी आमदनी भी हुई है. ऐसे में पहली बार ही सही स्ट्रॉबेरी की खेती हम लोगों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है. महिला किसान यह भी बताती हैं कि इसकी खेती लगभग सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है. इस कारण अब हजारीबाग में भी स्ट्रॉबेरी की खेती हो रही है.
शायद यह पहली बार देखने को मिला है कि स्ट्रॉबेरी की खेती में उसकी सुरक्षा को देखते हुए सीसीटीवी कैमरा इंस्टॉल किया गया है लेकिन हजारीबाग जैसे कृषि प्रधान क्षेत्र में स्ट्रॉबेरी की खेती अन्य किसानों को भी आकर्षित करेगी. जिससे वह भी स्ट्रॉबेरी की रंग की तरह पैसा कमा कर लाल हो जाएंगे.


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