जनता से रिश्ता वेबडेस्क : झारखंड मरीजों को अस्पताल पहुंचाने और लाने के लिए एंबुलेंस का संकट बड़ी समस्या है। आज भी सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों से बड़े अस्पतालों तक मरीजों को पहुंचाने और वापस ले जाने के लिए काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। मरीजों को लाने के लिए या तो निजी एंबुलेंस का सहारा लेना पड़ता है या अपनी व्यवस्था से लोग मरीजों को लाते हैं। इस प्रक्रिया में इतना वक्त लग जाता है कि इलाज में देरी के कारण जान भी चली जाती है। वहीं जहां एंबुलेंस की सुविधा मौजूद भी है, वहां व्यवस्था ही इतनी चौपट है कि मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल पाता है और समय रहते इलाज के अभाव में मौत हो जाती है
रिम्स का एंबुलेंस मरीज छोड़ हर चीज ढोता है
राजधानी के बड़े-बड़े अस्पतालों के पास बमुश्किल एक या दो एंबुलेंस हैं। जबकि, रिम्स में लगभग 22 एंबुलेंस और शव वाहन हैं। इसमें चार कार्डियक एंबुलेंस हैं, जिसमें वेंटिलेटर समेत सभी तमाम अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं। इसमें दो कार्डियक एंबुलेंस एशियन गेम्स के दौरान रिम्स को दी गयी थी।
एक साल से शिक्षा मंत्री के लिए दो एंबुलेंस का उपयोग
शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के लिए इन दिनों दो एंबुलेंस का उपयोग हो रहा है। करीब एक साल से जब भी वह रांची से बाहर अपने क्षेत्र में होते हैं तो एक एंबुलेंस उनके साथ होता है। जब वह रांची में होते हैं तो तीन शिफ्ट में दो नर्सों को रिम्स से उनके आवास पर पहुंचाने व लाने में एक एंबुलेंस का उपयोग होता है। रिम्स से एक एंबुलेंस सुबह दोपहर शाम दो-दो नर्सों को लेकर मंत्री आवास पहुंचाता है और ड्यूटी के बाद आवास से रिम्स तक लाता है।
source-hindustan
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