झारखंड

जानिए क्यों जमशेदपुर में 3 मार्च को होती है संस्थापक दिवस की धूम

Renuka Sahu
25 Feb 2024 6:11 AM GMT
जानिए क्यों जमशेदपुर में 3 मार्च को होती है संस्थापक दिवस की धूम
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जमशेदपुर में हर साल 3 मार्च को संस्थापक दिवस की धूम रहती है. संस्थापक दिवस क्यों मनाया जाता है आइए आज हम इसके बारे में जानते हैं.

जमशेदपुर : जमशेदपुर में हर साल 3 मार्च को संस्थापक दिवस की धूम रहती है. संस्थापक दिवस क्यों मनाया जाता है आइए आज हम इसके बारे में जानते हैं. टाटा स्टील की स्थापना जमशेदजी नुसरवान जी टाटा ने की थी. जमशेदजी नुसरवान की जयंती 3 मार्च को है. इसीलिए टाटा स्टील हर साल 3 मार्च को जमशेदजी नुसरवान जी की जयंती संस्थापक दिवस के तौर पर मानती है. संस्थापक दिवस को यादगार बनाने में टाटा स्टील दिल खोलकर खर्च करती है. लाखों रुपए की लाइटिंग की जाती है. जमशेदपुर का जुबली पार्क बिजली साज सज्जा की ऐसी जगमग से चमक उठता है की आंखें चुंधिया जाएं. संस्थापक दिवस समारोह मनाने की शुरुआत 3 मार्च साल 1932 से हुई थी. कंपनी ने पहले ही साल धूमधाम के साथ जमशेदजी नुसरवान जी की जयंती मनाई थी.

गुजरात के नवसारी में हुआ था जमशेदजी नसरवान जी टाटा का जन्म
जमशेदजी नुसरवान जी टाटा का जन्म 3 मार्च 1839 को गुजरात के नवसारी में हुआ था. वह भारत के एक देशभक्त उद्यमी थे. उन्होंने टाटा समूह की स्थापना की. टाटा समूह ने साल 1870 के आसपास कपड़ा मिल से अपने उद्यम की शुरुआत की. उनकी पढ़ाई मुंबई के एलफिंस्टन कॉलेज से हुई. जमशेदजी नुसेरवान जी टाटा 14 वर्ष की आयु में अपने पिता के साथ मुंबई पहुंचे थे और वहां एलफिंस्टन कॉलेज में प्रवेश लिया था. साल 1858 में उन्हें ग्रीन स्कॉलर की उपाधि मिली, जो आज स्नातक के बराबर है. जमशेदजी नसेरवान जी टाटा के पिता का नाम नसेरवान जी टाटा था. उनकी माता जीवनबाई टाटा थीं.
पढाई के दौरान ही हीराबाई डब्बू से किया था विवाह
जमशेदजी नसरवान जी टाटा ने अपनी पढ़ाई के दौरान ही हीराबाई डब्बू से विवाह किया था. ग्रीन स्कॉलर बनने के बाद जमशेदजी नसेरवान जी टाटा अपने पिता के साथ कारोबार में कूद पड़े. निर्यात व्यापार फर्म तैयार कर जापान, चीन, यूरोप और अमेरिका से आयात निर्यात के व्यापार में जुड़ गए. इन देशों में अपनी कंपनी की शाखाएं तैयार कीं. जमशेदजी नसरवान जी ने अपनी कारोबार की शुरुआत 21000 रुपए की पूंजी से ट्रेडिंग कंपनी तैयार कर की थी. आज यही ट्रेडिंग कंपनी टाटा समूह के रूप में विकसित होकर देश का एक बड़ा उद्यम बन चुकी है.
चिंचपोकली में लगाई थी तेल मिल
जमशेदजी नसरवान जी ने साल 1869 में मुंबई के चिंचपोकली में एक तेल मिल लगाई थी, जो बाद में दिवालिया हो गई. फिर इसमें कपास मिल लगा दी गई और इसका नाम अलेक्जेंड्रा मिल रखा गया. 2 साल तक लाभ मिला लेकिन बाद में मुनाफा घटने लगा तो उन्होंने मिल बेच दी.
जर्मनी में हुआ था जमशेदजी नसरवान जी टाटा का निधन
साल 1874 में डेढ़ लाख रुपए की पूंजी लगाकर सेंट्रल इंडिया स्पिनिंग वीविंग एंड मैन्युफैक्चरिंग कंपनी के नाम से नए उद्यम शुरू की थी. जमशेदजी नसरवान जी टाटा ने मुंबई इलाके में पन बिजली संयंत्र की योजना तैयार की थी जो बाद में 1906 में टाटा पावर कंपनी बन गई. 1901 में आयरन वर्क्स के नाम से कंपनी शुरू की गई जो 6 साल बाद टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी बन गई. इसके बाद टाटा समूह ने पीछे नहीं देखा और एक के बाद एक कंपनियां तैयार होती चली गईं. बाद में 19 मार्च 1904 को जर्मनी के बैड नौहेम में उनकी मृत्यु हुई थी।
जमशेदपुर को विश्वस्तरीय बनाने का देखा था सपना
जमशेदजी नसरवान जी टाटा ने काली माटी को विश्व स्तरीय शहर बनाने का सपना देखा था. जमशेदपुर झारखंड का ऐसा शहर है जिसे सलीके से बसाया गया है. इसे नक्शे के अनुसार तैयार किया गया. लगभग 18 लाख की आबादी वाले इस शहर में चौड़ी सड़कें ,पार्क, सिवरेज-ड्रेनेज की व्यवस्था, मनोरंजन के साधन सब कुछ हैं. टाटा स्टील प्लांट की स्थापना के बाद से ही धीरे-धीरे शहर विकसित होने लगा था.


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