झारखंड

जानिए वजह, कांग्रेस कोटे पर नहीं दिखेगा कैशकांड का असर

Admin4
16 Aug 2022 2:23 PM GMT
जानिए वजह, कांग्रेस कोटे पर नहीं दिखेगा कैशकांड का असर
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न्यूज़ क्रेडिट: न्यूज़18

कांग्रेस कोटे के मंत्रियों को बदले जाने का मामला फिलहाल ठंडे बस्ते में जाता हुआ नजर आ रहा है. कैशकांड के बाद कांग्रेस कोटे के मंत्रियों को बदले जाने की तैयारी पार्टी ने कर ली थी. लेकिन अब कांग्रेस के अंदर इस फेरबदल से टूट की आशंका के मद्देनजर इस पर विराम लगने की सूचना है. हालांकि कांग्रेस के कई विधायकों की नजरें दिल्ली दरबार पर टिकी हुई हैं.

कैशकांड के बाद झारखंड में कांग्रेस कोटे के मंत्रियों को बदले जाने की संभावना पर फिलहाल ब्रेक लग गया है. प्रदेश कांग्रेस मंत्रिमंडल में फेरबदल से नफा-नुकसान का आकलन करने में जुट गई है. कांग्रेस कोटे के 4 में से 3 मंत्रियों को बदले जाने की तैयारी पूरी कर चुकी पार्टी को अब ऐसा करने से टूट का डर सताने लगा है. कांग्रेस के अंदरखाने इस बात की इस चर्चा तेज हो गई है कि अगर मौजूदा राजनीति में किसी भी प्रकार का फेरबदल हुआ, तो प्रदेश कांग्रेस के अंदर टूट तय है. हालांकि कांग्रेस कोटे के मंत्रियों को बदले जाने या बनाए रखने पर अंतिम फैसला दिल्ली आलाकमान को लेना है. प्रदेश प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने बताया कि संगठन में टूट जैसी कोई बात या डर नहीं है. केंद्रीय नेतृत्व जो भी फैसला करेगा, वह सर्वमान्य होगा.

झारखंड की राजनीति में इस वक्त कांग्रेस डैमेज कंट्रोल में जुटी है. कैशकांड को लेकर आम जनता के बीच कांग्रेस की गिरती छवि को थामने के लिए संगठन ने मजबूती का फार्मूला तैयार किया है. यही वजह है कि राज्य के अंदर लगातार हो रही बारिश के बावजूद 9 से 14 अगस्त तक कांग्रेस ने गौरव यात्रा का सफल कार्यक्रम किया. इस दौरान कांग्रेस के अंदर नई ऊर्जा का संचार करने की कोशिश हुई.

कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की का मानना है कि कार्यकर्ताओं को उचित सम्मान देने के लिए पार्टी ने कमर कस ली है. इसके लिए गठबधंन के अंदर भी कांग्रेस अलग तेवर में दिखेगी. बात चाहे 15 सूत्री- 20 सूत्री या बोर्ड – निगम की हो, राज्य सरकार को अविलंब फैसला करने की जरूरत है.

कांग्रेस कोटे के मंत्रियों को बदले जाने और उन्हें बनाए रखने को लेकर भी रांची से लेकर दिल्ली तक खूब लॉबिंग हो रही है. प्रदेश कांग्रेस के दो बड़े नेता दो मंत्रियों की कुर्सी बचाने को लेकर जोर आजमाइश में लगे हैं. हालांकि बगैर दिल्ली दरबार की सहमति के न तो कुर्सी जाएगी और न कुर्सी बची रहेगी.

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