झारखंड

किरीबुरु : बड़ा सवाल, आयुष्मान योजना के मरीजों का इलाज करने से कतरा रहे निजी अस्पताल

Renuka Sahu
29 Aug 2022 4:21 AM GMT
Kiriburu: Big question, private hospitals shying away from treating patients of Ayushman scheme
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फाइल फोटो 

गरीब होना अपने आप में एक बड़ा अभिशाप है, अगर आप गरीब है ऊपर से बीमारियां घर कर जाय तो मानों इंसान टूट सा जाता है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। गरीब होना अपने आप में एक बड़ा अभिशाप है, अगर आप गरीब है ऊपर से बीमारियां घर कर जाय तो मानों इंसान टूट सा जाता है. गरीबी में दो वक्त की रोटी मिल पाना बेहद मुश्किल होता है और ऊपर से बीमारी पूरे परिवार को और लाचार बना देती है. किरीबुरु के चर्च हाटिंग निवासी अत्यंत गरीब व्यक्ति राजेश प्रसाद (47 वर्ष) पिछले लगभग 10 दिनों से गंभीर रूप से बीमार है और सेल की किरीबुरु स्थित जेनरल अस्पताल में भर्ती है. राजेश की निरंतर बिगड़ती स्थिति को देख अस्पताल प्रबंधन ने बेहतर इलाज के लिए उन्हें अन्यत्र किसी बडे़ अस्पताल में ले जाने को कहा है. राजेश व उसके परिवार के पास इतना पैसा नहीं है कि वह अपना बेहतर इलाज अन्यत्र जाकर करा सके. राजेश के पास भारत सरकार से मिला आयुष्मान कार्ड जरूर है, जिससे वह अपना इलाज करा सकता है. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि वह अपना इलाज कहां और किस अस्पताल में कराए. कई बडे़ अस्पताल अब आयुष्मान योजना से मरीजों का इलाज करने से हाथ खड़ी कर दे रही है. अगर इलाज करती भी है तो वह दवाईयां बाहर से खरीदने को कहती है. किरीबुरु जैसे सुदूरवर्ती क्षेत्र में मरीजों को बाहर भेजने के लिए सेल व सरकारी स्तर पर एम्बुलेंस की कोई सुविधा नहीं है. प्राइवेट एम्बुलेंस भी नहीं है. प्राईवेट एम्बुलेंस होता भी तो गरीब उसका खर्च वहन नहीं कर सकते है. ऐसी स्थिति में गरीब मरीजों की जिंदगी आखिर कैसे बचेगी.

सेल अस्पताल में अल्ट्रासाउंड की नहीं है सुविधा
सरकार दावे ते बहुत करती है कि गरीबी हटाने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही है . यह सारे दावे पढ़ने व सुनने मे भले हीं अच्छे लगते हैं. लेकिन कई योजनाएं सारंडा क्षेत्र में धरातल पर आज भी उतर नहीं पाई हैं. यहां एक बेहतर अस्पताल तक नहीं है जहां मरीज आयुष्मान कार्ड से अपना बेहतर इलाज करा सके. सेल अस्पताल में एक अल्ट्रासाउंड तक की सुविधा नहीं है. इसके लिये भी मरीजों को ओडिशा के जोडा़ शहर भेजा जाता है. डीएमएफटी योजनाओं का लाभ भी खादान क्षेत्र में रहने वाले गरीबों को नहीं मिल पा रहा है. अर्थात एक एम्बुलेंस तक के लिये क्षेत्र के मरीज दर-दर भटक रहे हैं. ऐसी स्थिति में गरीब मरीजों की जिंदगी कैसे बचे, यह बडा़ सवाल गरीबों के सामने खडा़ है.
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