झारखंड
Karma Puja 2024: आज है प्रकृति पर्व करमा पूजा, जानें क्यों मनाया जाता है करमा पूजा
Renuka Sahu
14 Sep 2024 7:41 AM GMT
x
रांची Ranchi : झारखंड के प्रमुख पर्वों में से एक करम पर्व और पूजा आज राज्यभर में बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है. चारों और करम के गीतों की गूंज है. यह पर्व भाई-बहन के अटूट प्रेम और झारखण्ड की समृद्ध संस्कृति और सभ्यता का प्रतीक है. यह पर्व झारखंडवासियों का प्रचीन और पारंपरिक त्यौहार है. जिसे झारखंड के लोग धान की रोपाई खत्म होने के बाद प्रकृति की पूजा करते हुए अच्छे फसल की कामना करते है. कहा जाता है कि झारखंडवासियों द्वारा प्रकृति पूजन की यह परंपरा सदियों से है.
करमा को लेकर आज लोग काफी उत्साह में है. यह पर्व भादो महीना के शुक्ल पक्ष के एकादशी के दिन मनाया जाता है. करमा के दिन बहनों द्वारा भाई के सुख समृद्धि और दीर्घायु की कामना की जाती है. बता दें, यह पर्व झारखंड के अलावा ओडिशा, बंगाल, छत्तीसगढ़ और असम में आदिवासी समुदायों के बीच धूमधाम से मनाया जाता है.
जानिए, करम डाल की ही क्यों की जाती है पूजा
करमा पर्व पर वे करम डाली की पूजा करते है. और झूमर खेलते है. मान्यता यह भी है कि इस पर्व में बहनों द्वारा भाईयों के लिए मनाई जाती है, यह झारखंड का प्राचीनतम पर्व है जो प्रकृति को समर्पित है, इस दिन लोग प्रकृति की पूजा करते है साथ ही बहनें अपने भाईयों के लंबी उम्र और उसके लिए सुख-समृद्धि की कामना करती हैं.
आपको बता दें, करमा पूजा के कुछ दिन पहले युवतियां नदी या तालाब से स्वच्छ और महीन बालू उठाती है और उसी बालू में पूजा के दिन करम की डाली को रखी जाती है, इसके अलावे वे सात प्रकार की अनाज बोती है, जिसमें जौ, गेहुं, मकाई, धान, उड़द, चना, कुलथी आदि शामिल है. उसे किसी अच्छे जगह पर रखती है और दूसरे दिन रोज धूप-धूवन के साथ पूजा करते हुए हल्दी पानी उसपर डालती है. इसके अलावे चारों ओर युवतियां गोलाकार होकर एक-दूसरे का हाथ पकड़कर जावा जगाने का गीत गाती हैं और नृत्य करती हैं.
पूजा के दिन युवतियां (बहनें) नए वस्त्र पहनकर, पैरों में अलता लगाकर तैयार होती है. इसके बाद शाम के समय गांव के बड़े बुजुर्ग नए वस्त्र पहनकर मंदार बजाते, नाचते गाते हुए करम डाली काटने जाते है. वहां पहुंचकर करम पेड़ का पूरे श्रद्धा से पूजा-अर्चना करके पेड़ चढ़कर तीन डालियां काटता है और साथ लेकर पेड़ से उतरता है इसमें यह भी ध्यान रखना होता है कि करम डाली जमीन पर गिरे नहीं. इसके बाद करम को घर के आंगन या आखाड़ें में विधिपूर्वक गाड़ा जाता है. बहनें सजी हुई थाली लेकर डाली के चारों और पूजा करने बैठ जाती है. और करम राजा से प्रार्थना करती है कि वे भाईयों को सुख समृद्धि दें और उनकी आयु दीर्घ करें, इसके बाद सभी लोग रातभर नृत्य करते हुए उत्सव मानते हैं और सुबह पास के किसी नदी, तालाब में विसर्जित कर देते हैं.
Tagsप्रकृति पर्व करमा पूजाकरमा पूजाजानें क्यों मनाया जाता है करमा पूजाझारखंड समाचारजनता से रिश्ता न्यूज़जनता से रिश्ताआज की ताजा न्यूज़हिंन्दी न्यूज़भारत न्यूज़खबरों का सिलसिलाआज का ब्रेंकिग न्यूज़आज की बड़ी खबरमिड डे अख़बारNature festival Karma PujaKarma Pujaknow why Karma Puja is celebratedJharkhand NewsJanta Se Rishta NewsJanta Se RishtaToday's Latest NewsHindi NewsInsdia NewsKhabaron Ka SisilaToday's Breaking NewsToday's Big NewsMid Day Newspaper
Renuka Sahu
Next Story