JSSC अपडेट: झारखंड कर्मचारी चयन आयोग ने क्षेत्रीय व जनजातीय भाषा के लिए पहली बार तैयार किया सिलेबस
लेटेस्ट न्यूज़: झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) की परीक्षा में अब झारखंड की 18 क्षेत्रीय-जनजातीय विषय पर सवाल पूछे जाएंगे। जेएसएससी के अनुरोध पर डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान ने इसका सिलेबस तैयार कर आयोग को सौंप दिया है। सिलेबस में संबंधित समुदाय से जुड़ी भाषा के लोकगीत, व्याकरण, शिष्टगीत, कविताएं, पाठ्य पुस्तक, लोककथा, शिष्ट कहानियां, मुहावरा, पहेलियां, लोकोक्तियां, गद्य साहित्य और पद्य साहित्य शामिल हैं। यह सिलेबस लिपिक संवर्ग मैट्रिक-इंटर स्तरीय व स्नातक स्तरीय परीक्षा के लिए तैयार किया गया है। सिलेबस तैयार करने में टीआरई को सप्ताहभर का समय लगा। बता दें कि हेमंत सरकार ने जेएसएससी की नियुक्ति नियमावली को संशोधित कर इसमें क्षेत्रीय भाषा को शामिल किया है। स्नातक स्तरीय नियुक्ति परीक्षा में शामिल अभ्यर्थियों को क्षेत्रीय भाषा की परीक्षा देनी होगी। पाठ्य पुस्तक भी तैयार देशभर में झारखंड ऐसा पहला राज्य बना है, जहां लुप्त होती आदिम जनजातीय समुदाय की भाषाओं को सरकारी नौकरी में मान्यता दी गई है। इसमें असुरी, बिरजिया, मालतो और भूमिज शामिल हैं। टीआरआई के निदेश रणेंद्र कुमार के अनुसार, यूनिसेफ भी इन भाषाओं को लुप्तप्राय मान चुका है। छह माह में किया गया तैयार इन भाषाओं में छह माह के अथक प्रयास से पाठ्य पुस्तक भी तैयार किया गया है, जिसमें व्याकरण, गद्य और पद्य शामिल है। इन किताबों में दर्ज पाठ का आदिम भाषा में अनुवाद कराया गया है, जिसमें ग्रामीण विशेषज्ञों की मदद ली गई है। इसके बाद सिलेबस तैयार किया गया है। बता दें कि झारखंड में 10 हजार लोग आज भी उन्हीं भाषाओं में बातचीत करते हैं, जो अब लुप्त होने की स्थिति में है।
18 भाषाओं को किया गया है पाठ्यक्रम में शामिल: मुंडारी, पंच परगनिया, खड़िया, संताली, भूमिज, हो, खोरठा, कुडुख, नागपुरी, बिरजिया, कुरमाली, बिरहोर, मालतो, असुरी सहित अंगिका, उर्दू, भोजपुरी, उड़िया समेत अन्य शामिल है।टीआरआई ने जेएसएससी को सौंपा पाठ्यक्रम, झारखंड पहला राज्य जहां आदिम भाषा को भी नौकरी में मान्यता