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द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने से विश्व आदिवासी दिवस अबकी होगा खास
Ranchi: झामुमो ने देश के 15वें राष्ट्रपति के तौर पर सोमवार को शपथ लेने वाली द्रौपदी मुर्मू का अभिवादन किया है. साथ ही उम्मीद जतायी है कि देश के जनजाति समाज के उत्थान के लिये वे अहम भूमिका निभाएंगी. पार्टी कार्यालय में झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि देश का सविधान जनजाति समाज के भाषा संस्कृति, रीति रिवाज को बनाये रखने की गारंटी देता है. 1996 में देश की संसद ने पेसा कानून बनाया था. पेसा के अनुपालन को सुनिश्चित करने में द्रौपदी बड़ी भूमिका निभाएंगी.
लंबे संघर्ष के बाद 2006 में वन अधिकार कानून भी हम सबों को मिला. यह जंगल में रहने वाले लोगों को कई तरह के अधिकार देता है. जमीन का रैयती पट्टा भी इसके जरिये मिलता है. इन दोनों कानूनों के संरक्षण के मामले में पार्टी को नये राष्ट्रपति से सबसे ज्यादा उम्मीद है.
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि आदि धर्म सरना को जनसंख्या में शामिल कराने की चाहत इससे जुड़े समाज के लोगों की रही है. झामुमो ने इस दिशा में पहल की थी. सदन से इस संबंध में सीएम हेमंत सोरेन ने एक प्रस्ताव पास कराया. सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने जिसमें भाजपा, आजसू पार्टी, कांग्रेस, राजद और वाम दल भी था, एक मांग पत्र गृह मंत्री अमित शाह को सौंपा था. आगामी 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस है.
द्रौपदी के राष्ट्रपति बनने के बाद से यह दिन इस बार खास होगा. राष्ट्रपति से मांग है कि वे 9 अगस्त को पेसा, वन अधिकार कानूनों को धरातल पर अक्षरशः उतारे जाने के संबंध में घोषणा करें. साथ ही सरना धर्म को भी जनसंख्या वाले कॉलम में जोड़े जाने की घोषणा हो. इससे पूरे विश्व में अच्छा संदेश जायेगा. एक आदिवासी महिला राष्ट्रपति के स्तर से भारत में इस तरह की पहल खास होगी.
देश के कई राज्यों में आर्थिक अभाव के कारण लंबे समय से आदिवासी जूझ रहे हैं. समयावधि पूरा हो जाने के बावजूद जेलों में बंद हैं. कई जनसंगठनों द्वारा इस पर कई तरह के आंदोलन भी चलाये गये. ऐसे में राष्ट्रपति उनकी मुक्ति का रास्ता भी प्रशस्त करे.
Rani Sahu
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