झारखंड

संस्कृत में गाने वाली झारखंड की बहू का अमेरिका और जर्मनी भी कायल

Manish Sahu
30 Aug 2023 5:39 PM GMT
संस्कृत में गाने वाली झारखंड की बहू का अमेरिका और जर्मनी भी कायल
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झारखण्ड: संस्कृत को देव भाषा कहते हैं। लोग इसे भारतीय भाषाओं की जननी भी मानते हैं। इसके बावजूद आज संस्कृत स्कूलों की पाठ्यपुस्तक तक सीमित होता जा रहा है। ज्यादातर छात्र संस्कृत में अच्छे अंक हासिल करने के बाद फिर इसकी तरफ मुड़ कर भी नहीं देखते। संस्कृत को अनुपयोगी और कठिन भाषा मानने वालों को आज धनबाद की बहू माधवी मधुकर झा से प्रेरणा लेनी चाहिए। इसी संस्कृत ने सरायढेला प्रगति नर्सिंग होम के पास रहने वाली माधवी की दुनिया ही बदल दी है।
संस्कृत गायकी (स्त्रोतम) से माधवी दुनिया भर में भारत की सभ्यता-संस्कृति को बुलंद कर रही हैं। माधवी की मेधा का भारत ही नहीं अमेरिका से लेकर जर्मनी, यूके, ऑस्ट्रेलिया और यूएई सहित नेपाल तक के लोग भी कायल हैं। संस्कृत को बढ़ावा देने और इसके प्रसार के लिए 31 अगस्त को विश्व संस्कृत दिवस के रूप में मना रहा है। संस्कृत के महत्व को बताने में माधवी मधुकर जैसी शख्सियत का जीवन किसी प्रेरणा से कम नहीं।
माधवी ने बताया कि वह महज तीन वर्षों से संस्कृत गायकी से जुड़ी हैं। कोरोना काल में उन्होंने स्त्रोतम से जुड़े वीडियो को अपने यूट्यूब चैनल पर डालना शुरू किया। आज उनकी 80 से अधिक प्रस्तुति यूट्यूब सहित अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वाहवाही बटोर रही है।
विश्व का पहला संस्कृत बैंड ‘मधुरम’ बनाया
माधवी मधुकर झा की प्रस्तुति सिर्फ यूट्यूब पर अभी तक 20 करोड़ बार देखी-सुनी जा चुकी है। हर महीने एक करोड़ बार उनके गाए स्त्रोतम को लोग सुनते हैं। उनकी गायकी को सुनने वाले श्रोताओं में 85 प्रतिशत भारत के हैं जबकि 15 प्रतिशत लोग विदेश के। उन्होंने बताया कि अमेरिका में रहने वाले करीब एक लाख लोग हर महीने उनकी प्रस्तुति को देखते-सुनते हैं। माधवी ने विश्व का पहला संस्कृत बैंड ‘मधुरम’ बनाया है।
युवाओं को संस्कृत से जोड़ना लक्ष्य
माधवी ने 'हिन्दुस्तान' से बातचीत करते हुए बताया कि संस्कृत के प्रति युवाओं में रुचि जगाना उनका लक्ष्य है। वह युवाओं को संस्कृत से जोड़ने की मुहिम चला रही हैं। संस्कृत से जुड़ कर ही युवा भारत की सभ्यता-संस्कृति से जुड़ सकते हैं। भागलपुर के सबौर में जन्मीं माधवी मधुकर झा मैथिली में भी कई गीत गा चुकी हैं। उनकी आदि शंकराचार्य रचित ‘वेदसार शिवस्तव:’ को यूट्यूब पर 96 लाख बार और ‘कृष्णाष्टकम्’ को एक करोड़ 40 लाख बार सुना गया है।
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