झारखंड
सूखे से बेहाल हुआ झारखंड, 50 फीसदी जलाशय खाली, किसानों को सिंचाई के लिए नहीं मिल रहा पानी
Renuka Sahu
26 July 2022 2:14 AM GMT
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फाइल फोटो
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मानसून के इस मौसम में अब तक पूरे राज्य में अच्छी तो दूर कहीं पर भी संतोषजनक बरसात भी नहीं हुई है। कुछ जगहों पर स्थिति चिंताजनक भी बन गई है। किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें गहरी हो गई हैं। सिंचाई के लिये पानी सिमित तौर पर उपलब्ध हो पा रहा है। लेकिन, मानसून की बेरुखी यूं ही बनी रही तो हालात सूखे के बन जाएंगे। राज्य के सभी जलाशयों में जल का स्तर लगातार घट रहा है।
जल संसाधन विभाग का कहना है कि आमतौर पर मानसून के मौसम में इस समय तक जलाशयों में स्टोरेज पचास फीसदी तक हो जाता है, लेकिन इस बार अब तक स्थिति डेड स्टोरेज लेवल के आसपास ही बनी हुई है। यह चिंताजनक है। किसानों को सिंचाई के लिये सीमित तौर पर ही पानी उपलब्ध हो पा रहा है।
जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता (मॉनिटरिंग) मोती लाल सिंह के मुताबिक अब तक अच्छी बारिश नहीं होने के कारण राज्य के 56 जलाशयों में से 52 जलाशयों का जल स्तर डेड स्टोरेज लेवल (डीएसएल) से थोड़ा ही ऊपर रह गया है। इनसे सीमित मात्रा में सिंचाई के लिये पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। मुख्यालय के निर्देशानुसार किसानों को सिंचाई के लिये पानी उपलब्ध कराया जा रहा है।
एक हफ्ते से हाइड्रल पावर प्लांट बंद
रांची के अनगड़ा प्रखंड स्थित गेतलसूद डैम का जलस्तर कम होने से सिकिदिरी हाइड्रल पावर प्लांट विगत एक सप्ताह से बंद है। जल संसाधन विभाग और झारखंड ऊर्जा संचरण निगम लिमिटेड के समझौते के तहत यदि डैम में पर्याप्त जल संग्रह मौजूद नहीं हो, तो हाइड्रल पावर प्लांट के लिए पानी नहीं छोड़ा जाता है। पावर प्लांट बंद होने से दो यूनिट से बिजली उत्पादन ठप है।
जल संसाधन विभाग के अभियंता प्रमुख (प्रथम) नागेश मिश्र ने कहा, 'मानसून में राज्य के 56 जलाशयों में पानी का स्टोरेज 50 तक हो जाना चाहिए था। बारिश कम होने से जलस्तर डेड स्टोरेज लेवल से थोड़ा ही ऊपर है। मुख्यालय से निर्देश जारी कर अभियंताओं को कहा गया है कि वह किसानों को जरूरत के मुताबिक सिंचाई के लिये पानी उपलब्ध करायें।'
यहां डेड स्टोरेज लेवल से थोड़ा अधिक है पानी
जल संसाधन विभाग की नवीनतम रिपोर्ट के मुताबिक रांची का बुछवपा, लोहरदगा का नंदनी, गुमला का पारस, कटारी, ऊपरी शंख, धनसिंगटोली, तपकारा, मसरिया, सिमडेगा का चिंडू, लरवा, कंसजोर और रामरेखा, पश्चिम सिंहभूम के सोनुआ, नकटी, जैनसराय, टोरलो जलाशय में पानी डीएसएल स्तर से थोड़ा अधिक है।
गोंदा डैम की क्षमता 28 फीट, अभी पानी 16 फीट
मानसून सीजन में मौसम की बेरुखी का असर खेती-किसानी के अलावा डैम में जल भंडारण पर भी दिख रहा है। कांके रोड के गोंदा डैम में सोमवार को पैमाना पर जलस्तर 16 फीट था। जबकि इसकी क्षमता 28 फीट है। जलापूर्ति के लिहाज से डैम में नौ फीट पानी शेष है। जल भंडारण सात फीट के स्तर पर पहुंचने के बाद जलापूर्ति पर गंभीर असर होगा। डैम में निचले स्तर पर गाद जमा रहने की वजह से सात फीट के जलस्तर के बाद पाइप लाइन से जलापूर्ति संभव नहीं होगी। बताया गया कि जैसे-जैसे डैम में पानी कम होगा, उसकी गुणवत्ता पर असर पड़ेगा और एक स्तर के बाद डैम से फिल्टर प्लांट भेजे गए पानी को साफ करने में अतिरिक्त संसाधन की आवश्यकता के साथ काफी मशक्कत करनी होगी।
झारखंड के जिलों में स्थित डैम जहां जलस्तर अभी नीचे है
दुमका: बरानदी, दिग्गलपहाड़ी, सुंदर, मसानजोर, कैराबनी,
पाकुड़: सुर्योदी, पारस, नंदनी, सुकरी, गेतलसूद, सुरंगी, लतरातू, मसरिया, जयपुर, कतरी, अपर शंख, टोरलो, जैनसराय, सोनुआ, नकती, बरांडी, दिग्गलपहाड़ी, कैराबनी, सुर्योदी, मसानजोर, सुंदर के साथ
बोकारो: तेनुघाट
चतरा: अजनवा, हीरू, दुल्की, बसका, बरही,
हजारीबाग: पंचखेरो, गोंडा, घगरा
रामगढ़: भैरवा रिजर्वायर में भी पानी डेड स्टोरज लेवल के ऊपर है।
गढ़वा: अनराज, चिरका, दनरो, पंडरवा, बभनीखर, चतनियाघाट,
पलामू: मलय, बुतंडुबा, बटाने, भीम बैराज, रैनीताल के अलावा चांडिल डैम का जल स्तर पर डीएसएल से थोड़ा ऊपर है।
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