राँची: सरकार जल्द ही झारखंड विश्वविद्यालय अधिनियम में संशोधन करने जा रही है। इसके लागू होते ही बिहार की तर्ज पर झारखंड के स्टेट यूनिवर्सिटी में जल्द ही असिस्टेंट प्रोफेसर विभागाध्यक्ष बन सकेंगे। इसके लिए असिस्टेंट प्रोफेसर के पास पांच साल का टीचिंग एक्सपीरियंस और पीएचडी डिग्री होना जरूरी है। अगर असिस्टेंट प्रोफेसर के पास पीएचडी डिग्री नहीं है, तो संबंधित स्ट्रीम के डीन को एचओडी का प्रभार मिल जाएगा। साथ ही, एचओडी का कार्यकाल दो साल से बढ़ाकर अब तीन साल हो जाएगा।विश्वविद्यालय के अधिनियम में संशोधन के लिए डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी यूनिवर्सिटी (डीएसपीएमयू) ने प्रस्ताव का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है।
13 सितंबर को कुलपति डॉ तपन कुमार शांडिल्य की अध्यक्षता में होने वाली सिंडिकेट की बैठक में इसे स्वीकृति दी जाएगी। ड्राफ्ट पर राज्य कैबिनेट की मुहर लगने के बाद राज्यपाल सह कुलाधिपति से सहमति ली जाएगी। इसके बाद गजट में प्रकाशन के साथ ही संशोधित विश्वविद्यालय अधिनियम लागू हो जाएगा। बताते चलें कि अभी विश्वविद्यालय अधिनियम के अनुसार असिस्टेंट प्रोफेसर को एचओडी के पद पर नियुक्त करने का प्रावधान नहीं है। अगर संबंधित विभाग में प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर नहीं हैं, तो ऐसी स्थिति में असिस्टेंट प्रोफेसर को एक्टिंग एचओडी बनाया जाता है। रांची विवि और डीएसपीएमयू में वर्तमान में विभागों में एक्टिंग एचओडी हैं।