जनता से रिश्ता वेबडेस्क : बच्चो में कुपोषण व महिलाओ में एनीमिया की समस्याओं को नियंत्रित करने को लेकर गुमला जिले में 1670 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित है। आदिवासी बहुल इस जिले में कुपोषण व एनीमिया की समस्या काफी गम्भीर है। बावजूद इसके पिछले पांच महीने से जिले आगनबाड़ी केंद्रों में नामांकित 88165 नौनिहालों का निवाला (पोषाहार) उधार में चल रहा है। आंगनबाड़ी केंद्र में कार्यरत सेविका-सहायिका का मानदेय भी पिछले सात महीने से बकाया है। इससे सहज ेअंदाजा लगाया जा सकता है कि नौनिहालों कुपोषण व धातृ महिलाओ को एनीमिया से बचाने के प्रति प्रशासनिक तंत्र कितना गम्भीर है। वह भी तब जबकि यूनीसेफ के आकंडो के मुताबिक आदिवासी बहुल गुमला जिले में 43 प्रतिशत बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। 55 प्रतिशत महिलाएं एनिमिक है। 43 प्रतिशत कुपोषित बच्चो में से 29 प्रतिशत बच्चे अति कुपोषित के श्रेणी में शामिल है। पिछले पांच महीनों से पोषाहार के अभाव में जिले आंगनबाड़ी केंद्रों में आंगनबाड़ी सेविका सहायिका अपने सम्पर्को के आधार में दुकानों से उधार में लेकर नौनिहालों का पेट की क्षुधा शांत कर रही है।