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कोडरमा Koderma : लक्ष्मी देवी का जन्म 1950 में झारखंड के घाटशीला क्षेत्र में एक सम्मानित परिवार में हुआ था. उनके पिता, श्री ताराचंद शर्मा, एक प्रतिष्ठित व्यक्तित्व थे, और लक्ष्मी देवी छह भाई-बहनों में दूसरे स्थान पर थीं. अपने प्रारंभिक जीवन में ही वे सहज, संस्कारवान और पारिवारिक मूल्यों से ओत-प्रोत थीं.उनकी प्रारंभिक शिक्षा घाटशीला में ही संपन्न हुई, जहां से उन्होंने अपनी जड़ों और अपने परिवेश से गहरा जुड़ाव महसूस किया.
वर्ष 1969 में लक्ष्मी देवी का विवाह कोडरमा जिले के नामचीन अधिवक्ता पन्ना लाल जोशी से हुआ.पन्ना लाल जोशी न केवल कानूनी क्षेत्र में, बल्कि सामाजिक और शैक्षणिक क्षेत्र में भी एक बेहद प्रभावशाली और प्रतिष्ठित हस्ती थे. उनकी विद्वता और नेतृत्व क्षमता ने उन्हें कोडरमा अधिवक्ता संघ के महासचिव के रूप में लगातार कई वर्षों तक सेवा का अवसर प्रदान किया, और इसके बाद वे संघ के अध्यक्ष भी बर्शो तक रहे.
इसके अतिरिक्त, पन्ना लाल जोशी ने झारखंड विधि महाविद्यालय के प्रथम प्राचार्य के रूप में अपनी सेवाएं दीं. वे समाज सेवा के प्रति भी समर्पित रहे और भारत विकास परिषद, झुमरी तिलैया इकाई के संस्थापक महासचिव के रूप में सक्रिय रहे. धार्मिक और सांस्कृतिक पहलुओं में उनकी गहरी रुचि रही, जिसके चलते वे झुमरी तिलैया स्थित गायत्री मंदिर के संस्थापक ट्रस्टी भी बने. साथ ही, पन्ना लाल जोशी वर्षों तक कोडरमा जिले के सरकारी अधिवक्ता के पद पर भी कार्यरत रहे, जहां उनकी न्यायप्रियता और कानूनी कुशलता का व्यापक प्रभाव रहा. 2021 में उनका देहांत हुआ, जो परिवार और समाज दोनों के लिए एक अपूरणीय क्षति थी.
विवाह के उपरांत लक्ष्मी देवी अपने ससुराल झुमरी तिलैया आईं, जहां उन्होंने अपने परिवार को संभाला और एक आदर्श गृहिणी के रूप में अपनी भूमिका निभाई. उन्हें पाँच संतानें प्राप्त हुईं – एक पुत्र और चार पुत्रियाँ.सभी संतानें आज अपने-अपने जीवन में सफल हैं और उनका विवाह भी संपन्न हो चुका है. उनके पुत्र, धीरज जोशी, अपने पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए कानूनी क्षेत्र में अपनी पहचान बना चुके हैं. वे वर्तमान में अधिवक्ता संघ के उपाध्यक्ष और अपर सरकारी अधिवक्ता के पद पर कार्यरत हैं.इसके अलावा, वे भी कई सामाजिक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं और समाज सेवा में अपना योगदान दे रहे हैं.
लक्ष्मी देवी का स्वभाव अत्यंत मृदुल, विनम्र और धार्मिक प्रवृत्ति का था. उनका जीवन सादगी और सच्चाई से भरा हुआ था. वे अपने परिवार और समाज में अपने सौम्य व्यवहार और सहयोगी स्वभाव के लिए जानी जाती थीं. धार्मिक क्रियाकलापों में उनकी विशेष रुचि थी और वे पूजा-पाठ और आध्यात्मिकता से जुड़ी रहती थीं. पिछले वर्ष उनका हृदय का ऑपरेशन कोलकाता में हुआ था, जो सफल रहा, लेकिन इसके बावजूद उनके स्वास्थ्य में धीरे-धीरे गिरावट आती गई.
अंततः, 8 सितंबर 2024 को लक्ष्मी देवी ने इस संसार से विदा ली. उनके निधन से न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे समाज में शोक की लहर दौड़ गई. उनके सरल और धार्मिक जीवन से प्रेरित होकर लोगों ने उनके जीवन मूल्यों को सराहा और उनकी स्मृति को संजोया. लक्ष्मी देवी अपने पीछे एक ऐसी विरासत छोड़ गईं, जो सदैव उनके प्रेम, सेवा और सच्चाई के संदेश को जीवित रखेगी.
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Renuka Sahu
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