झारखंड

झारखंड : स्कूल ऑफ एक्सीलेंस में टीचर्स की कमी, गढ़वा के छात्रों का भविष्य अधर में

Manish Sahu
31 Aug 2023 2:49 PM GMT
झारखंड : स्कूल ऑफ एक्सीलेंस में टीचर्स की कमी, गढ़वा के छात्रों का भविष्य अधर में
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झारखंड: गढ़वा में प्रदेश सरकार की ओर से शुरू किए गए स्कूल ऑफ एक्सीलेंस में टीचर्स की कमी देखने को मिल रही है. जिसके चलते छात्रों की पढ़ाई अधर में है. दरअसल प्रदेश सरकार ने राज्य के 80 स्कूलों को अपग्रेड किया है. इन स्कूलों में प्राइवेट स्कूलों के तर्ज पर बच्चों को बेहतर शिक्षा देने की कवायद है, लेकिन शिक्षकों की बहाली ना होने से सरकार की ये कोशिश कारगार साबित नहीं हो पा रही है. दो महीने पहले पूरे झारखंड में बड़ी गर्मजोशी के साथ निजी स्कूलों के तर्ज पर 80 सरकारी स्कूलों को अपग्रेड किया गया था.
इन स्कूलों का नाम सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस रखा गया. इन सरकारी स्कूलों में CBSE पैटर्न पर पढ़ाई होती है. इसके लिए स्कूलों में स्मार्ट क्लास, नए स्कूल भवन के साथ तमाम वो सुविधाएं दी गई हैं, जिससे झारखंड के छात्रों को बेहतर से बेहतर शिक्षा मिल सके, लेकिन तमाम सुविधाओं के बाद भी छात्रों की पढ़ाई अधर में लटकी है और इसकी वजह है शिक्षकों का ना होना.
सरकार ने स्कूल तो खोल दिए. भवनों का रंग रोगन भी कर दिया, लेकिन अभी तक शिक्षकों की बहाली नहीं कर पाई. जिसके चलते छात्रों की पढ़ाई नहीं हो पा रही है. स्कूल ऑफ एक्सीलेंस में बच्चों की संख्या में इजाफा तो हुआ, लेकिन शिक्षकों की कमी आज भी जस के तस है. स्कूल ऑफ एक्सीलेंस के तहत जिले में रामासाहू विद्यालय और कस्तूरबा गांधी आवासिये विद्यालय का चयन हुआ, लेकिन इन स्कूलों में टीचर्स नहीं है. स्कूल में शिक्षकों की ऐसी कमी है कि बाहर के शिक्षक आकर यहां बच्चों को पढ़ाते हैं.
सरकार की तमाम कोशिशों के बाद भी शिक्षकों की कमी के चलते छात्रों की पढ़ाई भगवान भरोसे हो रही है. वहीं, इसको लेकर विद्यालय के शिक्षकों का कहना है कि सरकार ने जिस उद्देश्य से स्कूल ऑफ एक्सीलेंस खोला था. वो शिक्षकों की कमी के चलते पूरा नहीं हो पा रहा है. गढ़वा के स्कूलों में शिक्षकों की कमी एक गंभीर मुद्दा है. जिस पर संबंधित विभाग के साथ ही सरकार को भी ध्यान देना चाहिए. अगर बच्चों को बेहतर शिक्षा देना ही लक्ष्य है तो इसके लिए सिर्फ स्कूल बनाना या हाइटेक क्लासेस बनवाना काफी नहीं होगा. जरूरत है कि स्कूलों और छात्रों के हिसाब से शिक्षकों की बहाली हो ताकि छात्रों का भविष्य अंधकार में ना जाए.
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