झारखंड

झारखंड : लगातार हो रही बारिश से सरायकेला का खपरसाई पुल डूबा

Tara Tandi
5 Oct 2023 11:56 AM GMT
झारखंड : लगातार हो रही बारिश से सरायकेला का खपरसाई पुल डूबा
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झारखंड में बारिश अब आफत बन चुकी है. आसमान से कहर बरप रहा है. लगातार हो रही बारिश से कई जिले डूब गए हैं. सड़कों पर पानी का सैलाब बह रहा है. नदियों पूरे शबाब पर है. जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. सरायकेला में भी मुसलाधार बारिश के बाद संजय, सोना और सुरू नदी का जलस्तर बढ़ गया है. जलस्तर बढ़ने से खरसावां-सरायकेला मुख्य मार्ग पर अभिजीत स्टील कंपनी के पास स्थित पुलिया पानी में डूब गया है. जिसके चलते खरसावां और कुचाई प्रखंड का संपर्क जिला मुख्यालय से कट गया. हालांकि पानी में डूबे पुल से भी लोग जान हथेली पर रखकर आवाजाही कर रहे हैं तो वहीं कुछ लोग कई किलोमीटर घूमकर पुल के उस पार जा रहे हैं.
एक किलोमीटर की दूरी हुई 30 किलोमीटर
पुलिया डूब जाने के चलते लोग एक किलोमीटर की दूरी को 30 किलोमीटर में तय कर रहे हैं. इधर, बड़ाबांबो क्षेत्र से होकर गुजरने वाली शंख नदी का भी जलस्तर बढ़ गया है. लिहाजा शंख नदी का पानी मुख्य सड़क तक आ गया. सड़क पर जलजमाव से राजखरसावां-बड़ाबांबो का संपर्क टूट गया. बड़ाबांबो समेत आसपास के गांव के लोगों को खरसावां, राजखरसावां, सरायकेला, चाईबासा जैसे जगहों पर जाने में परेशानी हो रही है.
40 साल पुराना पुल
संजय और सोना नदी के पास बना पुल करीब 40 साल पुराना है. पुल का गार्डवॉल भी टूट चुके हैं. हालांकि इस पुल के पास में ही करीब सात करोड़ की लागत से 8 साल पहले ही एक बड़ा पुल का निर्माण हुआ था ताकि लोगों को आवाजाही में आसानी हो सके. इस पुल के एक छोर का एप्रोच रोड भी बनकर तैयार हो गया है, लेकिन जमीन ना मिलने के चलते दूसरी ओर एप्रोच रोड नहीं बन सका है. लिहाजा इस पुल से आवाजाही हो नहीं पाती और पुराने पुल पर पानी आ जाने से पुल पार करना मुश्किल हो जाता है.
परेशानी का कारण बना सरकारी विभाग
यहां लोगों की परेशानी का कारण सरकारी विभाग है. दरअसल सरकार की ओर से विभाग को नए पुल के दूसरी ओर एप्रोच रोड बनाने के लिए जमीन की राशि पहले ही दी जा चुकी है, लेकिन अभी तक जमीन अधिग्रहण ना होने से एप्रोट रोड नहीं बना है और करोड़ों का पुल लोगों के काम नहीं आ रहा. दूसरी ओर सालों पहले बनाए गए इस पुराने पुल की ऊंचाई काफी कम है. ऐसे में जब भी नदी का जलस्तर बढ़ता है तो ये पुल डूब जाता है और आवाजाही ठप हो जाती है. सवाल उठता है कि कब तक प्रशासन और विभागीय अधिकारियों की लापरवाही का दंश आम जनता झेलेगी.
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