झारखंड

Jharkhand News प्राथमिक विद्यालय में भूत की अफवाह, बच्चे हुए बेहोश, क्लास रूम में सन्नाटा

SANTOSI TANDI
7 Oct 2023 6:20 AM GMT
Jharkhand News प्राथमिक विद्यालय में भूत की अफवाह, बच्चे हुए बेहोश, क्लास रूम में सन्नाटा
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विद्यालय में भूत की अफवाह, बच्चे हुए बेहोश, क्लास रूम में सन्नाटा
झारखंड के पलामू जिले के एक प्राथमिक स्कूल में भूत की अफवाह से तीन बच्चे बेहोश हो गये। इसके बाद डर के मारे बच्चों ने स्कूल जाना ही बंद कर दिया है। मामला तरहसी प्रखंड के उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय पूर्णी टरिया का है। इस स्कूल में पढ़नेवाले तीन छात्र गुरुवार को बेहोश हो गये थे। इसके बाद अफवाह उड़ी कि स्कूल में किसी भूत-प्रेत का साया है। इसके बाद स्कूल के विद्यार्थियों ने डर के मारे स्कूल जाना ही बंद कर दिया है।
शुक्रवार को जब शिक्षक स्कूल पहुंचे तो देखा स्कूल में एक भी बच्चा नहीं पहुंचा है। स्कूल में पहली से छठी कक्षा तक की पढ़ाई होती है और कुल 127 बच्चे यहां अध्ययनरत हैं। जब शिक्षा विभाग को स्कूल में बच्चों के न पहुंचने की जानकारी मिली तो सीआरपी नीलम कुमार पांडेय ने बच्चों के घर जाकर उन्हें समझाया कि भूत-प्रेत जैसी कोई चीज नहीं होती है। यह महज अफवाह है। उन्होंने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद अभिभावक बच्चों को फिर से स्कूल भेजने पर सहमत हो गये हैं।
यह मामला पलामू जिले के तरहसी प्रखंड के उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय पूर्णी टरिया का है। बताया जाता है कि गुरुवार को विद्यालय के कुछ बच्चे स्कूल परिसर में किसी अदृश्य वस्तु को देखने से बेहोश हो गए, जिससे गांव में अभिभावकों के बीच कई तरह की भूत प्रेत को लेकर आशंकाएं व्यक्त की जाने लगी। शुक्रवार को भय के कारण एक भी बच्चा स्कूल नहीं पहुंचा। क्लास रूम में सन्नाटा पसरा रहा।
सूचना मिलने पर सीआरपी नीलम कुमार पांडे विद्यालय पहुंचे और विद्यालय प्रबंधन समिति के सदस्य एवं शिक्षक वीरेन्द्र कुमार सिंह के साथ उस स्थान का निरीक्षण किया एवं अभिभावक व छात्रों के बीच बने सभी प्रकार के संशय को दूर करने का प्रयास किया।
सीआरपी नीलम ने जानकारी दी कि फिलहाल जो बच्चे बेहोश हो गए थे, उनकी स्थिति की जानकारी ली गयी। सभी की स्थिति सामान्य है, परंतु आशंकाएं सभी में व्याप्त है। ऐसे में विद्यालय प्रबंधन समिति के सभी सदस्य एवं अभिभावकों के साथ विद्यालय के इर्द गिर्द सभी तरह की आशंकाओं को दूर करते हुए इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि स्कूल पूरी तरह से सुरक्षित है। बच्चे गलतफहमी के शिकार हुए। अगले कार्य दिवस पर सभी अभिभावकों ने अपने बच्चों को पठन पाठन के लिए विद्यालय भेजने पर सहमति व्यक्त की।
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