झारखंड

सूखे की मार झेल रहा झारखंड, आपदा विभाग के खजाने में हैं सिर्फ 200 करोड़, कैसे मिलेगा किसानों को मुआवजा

Renuka Sahu
6 Aug 2022 3:09 AM GMT
Jharkhand is facing drought, only 200 crores is in the treasury of the disaster department, how will farmers get compensation
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फाइल फोटो 

सरकार के पास सूखे से निपटने के लिए फिलहाल वित्तीय कार्ययोजना का अभाव दिखाई देता है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सरकार के पास सूखे से निपटने के लिए फिलहाल वित्तीय कार्ययोजना का अभाव दिखाई देता है। उम्मीद की जा रही थी कि पहले अनुपूरक बजट में सरकार इसके लिए आपदा विभाग को अतिरिक्त पैसा देगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। वर्तमान में आपदा विभाग के खजाने में मात्र 200 करोड़ रुपये हैं। ऐसे में सूखे से निपटने के लिए केंद्रीय सहायता मिलने के पहले सरकार को किसानों के लिए अपने खजाने से व्यवस्था करनी होगी।

बता दें कि झारखंड छायावृष्टि (रेन शैडो) वाला राज्य है। 80 प्रतिशत खेती वर्षा पर आधारित है। राज्य निर्माण से लेकर अब तक लगभग 10 बार झारखंड सूखे से प्रभावित हुआ है। इन 22 वर्षों में सूखा से निपटने तथा समुचित जल प्रबंधन के लिए योजनाबद्ध तरीके से कोई काम नहीं किया गया है। सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। किसान पूरी तरह बारिश पर निर्भर हैं।
गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग के लिए 250 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, लेकिन इसमें भी 182.61 करोड़ रुपये पुलिस विभाग को दिया गया है। आपदा को इस मद में कोई राशि नहीं दी गई है। कृषि मंत्री ने मानसून सत्र के दौरान विधानसभा में ऐलान किया था कि 15 अगस्त तक बारिश का इंतजार किया जाएगा, इसके बाद ही सरकार इसपर फैसला लेगी। बता दें कि 15 अगस्त तक झारखंड में धान की रोपाई के लिए अंतिम समय माना जाता है।
जून-जुलाई में मात्र 79.5 मिलीमीटर ही बारिश हुई
राज्य में जून-जुलाई में सामान्य वर्षापात 319.4 मिली मीटर के विरुद्ध मात्र 79.5 मिलीमीटर ही बारिश हुई। इसी तरह अगस्त माह में सामान्य वर्षापात 284 मिलीमीटर के विरुद्ध 4 अगस्त तक मात्र 32 मिलीमीटर ही बारिश हुई। स्पष्ट है कि झारखंड में खरीफ फसलों के आच्छादन और रोपनी की स्थिति बहुत ही खराब है। पलामू, गढ़वा, चतरा, देवघर, गोड्डा, हजारीबाग, पाकुड़, साहेबगंज आदि जिले के वर्षापात की स्थिति अत्यंत खराब है। इन जिलों में सामान्य वर्षापात की तुलना में माइनस 60 प्रतिशत से भी अधिक कम बारिश हुई है।
सुखाड़ की घोषणा की नियमावली
सुखाड़ की घोषणा की नियमावली में उल्लेखित है कि जून और जुलाई माह में सामान्य वर्षापात में घोर कमी तथा बुआई क्षेत्र में महत्वपूर्ण कमी हो, तो राज्य सरकार को शीघ्र सुखाड़ की घोषणा कर देनी होती है।
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