झारखंड

झारखंड सुखाड़ की चपेट में, केंद्र-राज्य सरकार दे तुरंत राहत पैकेज : महासभा

Renuka Sahu
7 Sep 2022 6:30 AM GMT
Jharkhand in the grip of drought, the central-state government should give immediate relief package: Mahasabha
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न्यूज़ क्रेडिट : lagatar.in

इस साल झारखंड में बारिश काफी देर से शुरू हुई है. जिसके कारण इस साल बारिश कम हुई है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। इस साल झारखंड में बारिश काफी देर से शुरू हुई है. जिसके कारण इस साल बारिश कम हुई है. आईएमडी के आंकड़ों के अनुसार इस साल अभी तक राज्य में सामान्य से 25 प्रतिशत कम बारिश हुई है. वहीं राज्य के 15 ज़िलों में सामान्य से काफी कम बारिश हुई है. दो जिलों (गढ़वा व पलामू) की स्थिति काफी दैनिय है. झारखंड में मात्र लगभग 10 प्रतिशत खेती के क्षेत्र ही सिंचित हैं. इसका सीधा प्रभाव राज्य की प्रमुख खरीफ फसल धान पर पड़ा है. झारखंड भयंकर सुखाड़ की चपेट में है, इसलिए केंद्र और राज्य सरकार को तुरंत राहत पैकेज देना चाहिए. यह बातें झारखंड जनाधिकार महासभा ने फिल्ड विजिट के बाद जारी रिपोर्ट में कही गयी है.

कोल्हान के तीन जिलों में सामान्य से कम बारिश
महासभा के अंबिका यादव, दिनेश मुर्मू और रोज खाखा ने जारी रिपोर्ट में कहा कि राज्य के लगभग सभी ज़िलों में मानसून के शुरूआती दिनों में सामान्य से बहुत कम बारिश हुई. इसलिए जिन ज़िलों में बाद में सामान्य बारिश हुई भी (जैसे पश्चिमी सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम, सराईकेला-खरसावां आदि), वहां भी स्थिति गंभीर है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस साल लगभग कम धान बुआई हुई है. झारखंड के अधिकांश किसान छोटी जोत वाले हैं जो फसल के लिए वर्षा पर पूरी तरह निर्भर हैं. कई किसान तो अपने खाने भर का धान भी नहीं उगा पाते हैं. ऐसी सुखाड़ के हालत में राज्य में व्यापक खाद्य संकट की संभावना है.
महंगाई आसमान छू रही
झारखंड में कुपोषण व भुखमरी की चिंताजनक स्थिति और गंभीर हो जा सकती है. इस वर्ष दलहन की भी 30 प्रतिशत कम बुआई हुई है. दूसरी तरफ केंद्र सरकार की जन विरोधी आर्थिक नीतियों के कारण झारखंड समेत पूरे देश में आम जनता के लिए महंगाई लगातार बढ़ती जा रही है. चाहे सरसों तेल हो, सब्जी हो या दैनिक इस्तेमाल के अन्य समान. महंगाई आसमान छू रही है. बेरोज़गारी जस की तस है. इस अति विशिष्ट परिस्थिति में जब ग़रीब जनता कोरोना महामारी से उत्पन्न बेरोज़गारी और अवसरहीनता से अभी तक जूझ रही है. इस वर्ष फसल का न होना इनके लिए अस्तित्व का संकट बन गया है. केंद्र सरकार जनता द्वारा चुने राज्य सरकारों को तोड़ने और गिराने में ध्यान लगाने के बजाये जनता के प्रति अपनी मूल जिम्मेवारी निभाये. झारखंड सरकार भी सुखाड़ में राहत को अब प्राथमिकता दे.
केंद्र व राज्य सरकार से मांग
-युद्ध स्तर पर अनावृष्टि के प्रभावों का आंकलन हो, नुकसान की भरपाई की जाये और किसानों को जल्द-से-जल्द आर्थिक सहयोग दिया जाये.
-प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को कम-से-कम अगले 6 महीने तक बढ़ाया जाये और लोगों को दोगुना राशन दिया जाये. राज्य सरकार द्वारा जन वितरण प्रणाली से जोड़े गए 20 लाख अतिरिक्त लोगों (हरा राशन कार्ड) को भी इस योजना से जोड़ा जाए.
-जन वितरण प्रणाली में सस्ते दरो पर दाल और खाद्यान तेल दिया जाए
-मनरेगा का आवंटन दोगुना किया जाए और हर गांव में व्यापक पैमाने पर काम खोला जाये
– आंगनवाड़ी व मध्याहन भोजन में सभी बच्चों को 6 अंडा प्रति सप्ताह दिया जाए.
-खाद्यान्न व दैनिक इस्तेमाल के सामानों में बढ़ रही महंगाई को तुरंत रोका जाए
-राज्य सरकार जन वितरण प्रणाली व मनरेगा में हो रहे भ्रष्टाचार पर पूर्ण रोक लगाए ताकि लोगों को उनका पूरा अधिकार मिले.
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