झारखंड

Jharkhand High Court ने परिवहन सचिव से मांगा जवाब

Shantanu Roy
4 Dec 2021 6:45 AM GMT
Jharkhand High Court ने परिवहन सचिव से मांगा जवाब
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Name Plate on Vehicle के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. इस दौरान झारखंड हाई कोर्ट ने सरकार के जवाब पर नाराजगी व्यक्त करते हुए झारखंड सरकार के परिवहन सचिव को लिखित रूप से स्पष्ट जवाब शपथ पत्र के माध्यम से जवाब पेश करने का निर्देश दिया है.

जनता से रिश्ता। Name Plate on Vehicle के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. इस दौरान झारखंड हाई कोर्ट ने सरकार के जवाब पर नाराजगी व्यक्त करते हुए झारखंड सरकार के परिवहन सचिव को लिखित रूप से स्पष्ट जवाब शपथ पत्र के माध्यम से जवाब पेश करने का निर्देश दिया है.

Jharkhand High Court ने यह जानना चाहा कि जब नियम में यह प्रावधान है कि सिर्फ सरकारी गाड़ी पर ही नाम पट्टिका या बोर्ड लगाई जाएगी तो जनप्रतिनिधियों की निजी गाड़ी पर यह नाम पट्टिका लगाने की छूट कैसे दी गई? कोर्ट ने सरकार से यह भी जानना चाहा है कि कितने निजी वाहनों पर अवैध रूप से लगे बोर्ड के कारण कार्रवाई की गई है, शपथ पत्र के माध्यम से जानकारी दें. अदालत ने सरकार को 14 जनवरी से पूर्व अपना जवाब अदालत में पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 14 जनवरी को होगी.
झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश एसएन प्रसाद की अदालत में इस मामले पर सुनवाई हुई. इस दौरान अदालत ने इस बात को लेकर नाराजगी जताई कि सरकार की ओर से जारी अधिसूचना में सांसद, विधायक सहित अन्य जनप्रतिनिधियों को अपने वाहन पर नेम प्लेट या बोर्ड लगाने की छूट प्रदान की गई है. वहीं इसी अधिसूचना में कहा गया है कि बोर्ड सिर्फ सरकारी वाहन पर ही लगाया जा सकता है. ऐसे में सांसद, विधायक और अन्य जनप्रतिनिधि को जब सरकारी गाड़ी दिया ही नहीं जाता है तो वो अपने निजी वाहन पर कैसे बोर्ड लगा रहे हैं?
अदालत ने इस मामले में Jharkhand Transport Secretary से स्पष्ट जानकारी मांगी है. अदालत ने पूछा है कि राज्य में अब तक नाम पट्टिका वाली कितने निजी वाहन पकड़े गए हैं. जिस पर नाम पट्टिका लिखा पकड़ाया है, उस पर क्या कार्यवाही की गई है. इससे संबंधित विस्तृत जवाब अदालत में पेश करने को कहा है. इस बारे में गजावा तनवीर ने हाइकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. याचिका में मांग की गई है कि निजी वाहन पर नाम पट्टी लगाया जा रहा है जो गलत है. इसीलिए इसे हटाने की मांग की गई है. उसी याचिका पर हाई कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई.


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