झारखंड

झारखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में घुसपैठियों के निर्वासन से जुड़ी याचिका का किया विरोध

Deepa Sahu
22 May 2022 2:24 PM GMT
झारखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में घुसपैठियों के निर्वासन से जुड़ी याचिका का किया विरोध
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झारखंड (Jharkhand) सरकार ने उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका का विरोध करते हुए.

झारखंड (Jharkhand) सरकार ने उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका का विरोध करते हुए, कहा कि इसका उद्देश्य अल्पसंख्यकों और वंचित समूहों की मदद करना है. याचिका में केंद्र और राज्यों को अवैध प्रवासियों की पहचान करने, उन्हें हिरासत में लेने और निर्वासित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है, वकील एवं भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता अश्विनी उपाध्याय की एक याचिका पर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो)-कांग्रेस-राष्ट्रीय जनता दल (राजद) गठबंधन सरकार ने अपना जवाब दाखिल किया, उपाध्याय ने याचिका में केंद्र और राज्यों को सभी अवैध प्रवासियों तथा बांग्लादेशियों और रोहिंग्या मुसलमानों (Bangladeshi and Rohingya) समेत सभी घुसपैठियों की पहचान करने, उन्हें हिरासत में लेने और निर्वासित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है.


झारखंड पुलिस की विशेष शाखा के महानिरीक्षक प्रशांत कुमार के माध्यम से दायर 15 पन्नों के हलफनामे में राज्य सरकार ने कहा है कि अवैध अप्रवासियों या विदेशी नागरिकों की आवाजाही रोकने के लिए विभिन्न राज्यों में हिरासत केंद्र, निर्वासन केंद्र और शिविर स्थापित करने के लिए पहले से ही एक तंत्र है.

झारखंड सरकार ने हजारीबाग में बनाया है मॉडल डिटेंशन सेंटर
झारखंड सरकार ने हजारीबाग जिले में एक मॉडल डिटेंशन सेंटर भी स्थापित किया है. झारखंड ने अपने जवाब में जनहित याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा, जनहित याचिका का उद्देश्य अल्पसंख्यकों या वंचित समूहों की मदद करने को लेकर मानवाधिकारों और समानता को आगे बढ़ाने के लिए कानून का उपयोग करना या व्यापक सार्वजनिक चिंता के मुद्दों को उठाना है.झारखंड सरकार ने कहा है, नागरिकता के मुद्दे को नागरिकता कानून और विदेशी कानून के प्रावधानों के अनुसार तय किया जाना है। इस कानून के लागू होने के बाद ही निर्वासन, स्थानांतरण, प्रत्यावर्तन या पुनर्वास हो सकता है.

झारखंड सरकार ने जनहित याचिका खारिज करने का किया अनुरोध
जनहित याचिका को खारिज करने का अनुरोध करते हुए राज्य ने कहा है कि याचिकाकर्ता द्वारा बताया गया खतरनाक परिदृश्य गलत अटकलों और बिना किसी तथ्य पर आधारित है. केंद्रीय गृह मंत्रालय के 2014 के एक पत्र का उल्लेख करते हुए हलफनामे में कहा गया है, यह बताया गया था कि केंद्र सरकार को विदेशी नागरिक कानून-1946 की धारा 3 (2) सी के तहत आदेश देने के लिए अधिकृत किया गया है कि विदेशी भारत या उसके किसी निर्धारित क्षेत्र में नहीं रह सकेंगे.
अवैध आप्रवासियों ने सीमावर्ती जिलों की जनसांख्यिकीय संरचना को खतरे में है डाला
इससे पूर्व, कर्नाटक सरकार ने शीर्ष अदालत से कहा था कि वह एक जनहित याचिका पर पारित किए जाने वाले आदेश का निष्ठापूर्वक पालन करेगी, जिसमें केंद्र और राज्यों को अवैध प्रवासियों की पहचान करने, हिरासत में लेने और निर्वासित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था. जनहित याचिका में केंद्र और राज्यों को अवैध आव्रजन और घुसपैठ को संज्ञेय, गैर-जमानती अपराध बनाने के लिए संबंधित कानूनों में संशोधन करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है. याचिका में कहा गया है, विशेष रूप से म्यांमा और बांग्लादेश से आए अवैध आप्रवासियों ने न केवल सीमावर्ती जिलों की जनसांख्यिकीय संरचना को खतरे में डाल दिया है, बल्कि सुरक्षा और राष्ट्रीय एकजुटता को भी गंभीर रूप से प्रभावित किया है.


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