झारखंड

Jharkhand : उत्पाद विभाग एक बार फिर सवालों के घेरे में, हजारीबाग, चतरा व कोडरमा जिले में 4.79 करोड़ का गबन

Renuka Sahu
8 Sep 2024 8:13 AM GMT
Jharkhand : उत्पाद विभाग एक बार फिर सवालों के घेरे में, हजारीबाग, चतरा व कोडरमा जिले में 4.79 करोड़ का गबन
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हजारीबाग Hazaribagh : उत्पाद विभाग एक बार फिर काफी चर्चा में है. झारखंड राज्य बेवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (जेएसबीसीएल) ने हजारीबाग, चतरा और कोडरमा जिले में उत्पाद विभाग में करोड़ों की हेराफेरी को लेकर चिट्ठी जारी की है. इसमें महाप्रबंधक ने विजन कंपनी को अविलंब पंजाब नेशनल बैंक के खाता में राशि जमा करने को कहा है. ऐसा नहीं करने पर उनके खिलाफ विधिसम्मत कार्रवाई की जाएगी.

झारखंड में विजन हॉस्पिटैलिटी सर्विस एंड कंसलटेंट प्राइवेट लिमिटेड को शराब की बिक्री का टेंडर दिया गया है. हजारीबाग जिला जोन 10 में आता है, जिसमें हजारीबाग, चतरा और कोडरमा जिला शामिल हैं. कंपनी ने इन तीन जिलों में जितनी शराब की बिक्री हुई है, उससे कम पैसे बैंक में जमा किए हैं. इन जिलों में बिक्री के विरुद्ध चार करोड़ 79 हजार 257 रुपये कम जमा किए गए हैं हजारीबाग जिले में करीब 2.75 करोड़ रुपये जमा नहीं किए गए हैं.
हजारीबाग के सहायक उत्पाद आयुक्त ने भी उक्त राशि की वसूली के लिए संबंधित लोगों को नोटिस जारी किया है. सूत्र बताते हैं कि करोड़ों की हेराफेरी के इस खेल के पीछे सेल्समैन हैं, जो कुल बिक्री का पैसा जमा नहीं करते हैं. जो पैसा ऑनलाइन जमा होता है, वह तो सीधे बैंक में चला जाता है. लेकिन नकदी में राशि की हेराफेरी की जाती है. ऐसे कई सेल्समैन फरार भी बताए जा रहे हैं. बताया जाता है कि उत्पाद विभाग, कंपनी से बैंक गारंटी के रूप में राशि जमा कराता है. जब यह राशि बैंक गारंटी से लगभग बराबर हो जाती है, तो उसे रिकवर कर लिया जाता है.
सहायक उत्पाद आयुक्त शिवकुमार साहू ने कहा कि हजारीबाग उत्पाद विभाग को भी चिट्ठी प्राप्त हुई है. जो भी राशि जमा नहीं की गई है, उसकी रिकवरी के लिए नोटिस जारी किया गया है. इस मामले को लेकर विभाग गंभीर है. इस मामले के उजागर होने के बाद से ही संबंधित विभाग और अधिकारी सतर्क हो गए हैं. जांच की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और संबंधित सेल्समैन की तलाश की जा रही है. उम्मीद है कि जल्द ही दोषियों को पकड़ा जाएगा और इस गबन के खेल को खत्म किया जाएगा. समाज के विभिन्न वर्गों ने इस हेराफेरी की निंदा की है. लोगों का कहना है कि इस प्रकार की हेराफेरी न केवल सरकार के राजस्व को नुकसान पहुंचाती है, बल्कि समाज में भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है. लोगों ने संबंधित विभाग से कठोर कार्रवाई की मांग की है ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाएं न हो सकें. इस मामले ने उत्पाद विभाग और संबंधित कंपनियों के बीच विश्वास के संकट को जन्म दिया है. इसे सही तरीके से हैंडल किया जाए तो अन्य जिलों में भी इस प्रकार की हेराफेरी को रोकने में मदद मिल सकती है. अब देखना यह है कि विभाग और सरकार इस मामले को कितनी गंभीरता से लेती है और दोषियों को किस प्रकार की सजा देती है.


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