झारखंड

Jharkhand: झारखंड सरकार विस्थापन आयोग का अविलंब गठन करने की भाकपा ने रखी मांग

Deepa Sahu
21 Oct 2021 6:13 PM GMT
Jharkhand: झारखंड सरकार विस्थापन आयोग का अविलंब गठन करने की भाकपा ने रखी मांग
x
राज्य में विस्थापन अभिशाप बना है। डीवीसी, सीसीएल, बीसीसीएल, एचईसी सहित एक दर्जन से अधिक कल कारखाने खुले।

रांची, राज्य में विस्थापन अभिशाप बना है। डीवीसी, सीसीएल, बीसीसीएल, एचईसी सहित एक दर्जन से अधिक कल कारखाने खुले। इनमें कौड़ी के मोल किसानों की जमीन ले ली गई। आजादी के इतना दिन बीत जाने के बाद भी विस्थापन आयोग का गठन नहीं हुआ। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मांग करती है कि झारखंड विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर एक महीने के अंदर विस्थापन आयोग का गठन करे। यह बातें भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी राज्य कार्यालय रांची में भाकपा के राज्य सचिव सह हजारीबाग के पूर्व सांसद भुवनेश्वर प्रसाद मेहता ने संवाददाता सम्मेलन में कहीं।

मेहता ने कहा कि हेमंत सोरेन चुनाव के वक्त जनता से किए गए वायदे को पूरा करे। अंग्रेजों के बनाए गए भूमि अधिग्रहण कानून के तहत किसानों की जमीन जबरन लूट ली गई। अभी तक 5000000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं। आधी आबादी का आज तक अता पता नहीं है । राज्य के गठन के बाद भी भारतीय जनता पार्टी की सरकार रही हो या झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व वाले महागठबंधन की। लेकिन किसी ने अभी तक विस्थापितों की सुध नहीं ली। राज्य में कई कोल ब्लॉक की नीलामी पहले हो चुकी है। 22 कोल ब्लॉक की नीलामी होने जा रही है।
सभी कोल ब्लॉक धरातल पर उतर जाने पर एक करोड़ लोग विस्थापित एवं प्रभावित होंगे। भूमि अधिग्रहण कानून 2013 झारखंड में लागू नहीं हुआ। इसका दर्द झारखंडियों को झेलना पड़ रहा है। इसलिए 23 अक्टूबर को रांची की एसडीसी सभागार में विस्थापन पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया है। इसमें राज्य के कई राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों एवं आदिवासी संगठनों के लोग भाग लेंगे। मेहता ने कहा कि झारखंड सरकार से कई बार हम लोगों ने मांग की है कि झारखंड विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर राज्य में विस्थापन नीति अभिलंब बनाए और विस्थापितों को न्याय के लिए पुनर्वास की व्यवस्था की जाए।
लेकिन पूर्व की सरकार की तरह आज भी सरकार विस्थापितों के साथ अन्याय कर रही है । सरकार के बने 2 साल बीत जाने के बाद भी राज्य विकास के लिए सरकार कोई पहल नहीं कर रही है। राज्य में कोयला, लोहा, तांबा, बालू आदि की तस्करी चरम पर है। बड़े-बड़े माफिया अवैध कारोबार में लिप्त हैं। पूर्व की सरकार की तरह वर्तमान सरकार भी लूट में मशगूल है। इसलिए 23 अक्टूबर को विस्थापन पर सेमिनार में राज्य में बड़े पैमाने पर आंदोलन की रणनीति तैयार की जाएगी। प्रेस कान्फ्रेंस में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी झारखंड राज्य के सहायक सचिव महेंद्र पाठक, कार्यालय सचिव अजय कुमार सिंह, राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश उपाध्यक्ष राजेश यादव उपस्थित थे।


Next Story