जमशेदपुर: पूर्वी सिंहभूम के ऑटो चालक भी हाइकोर्ट के आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं. ड्रेस कोड लागू होने के बाद भी ऑटो चालक बिना ड्रेस के ही ऑटो चला रहे हैं. जिला व पुलिस प्रशासन भी इस ओर ध्यान नहीं देता है. जमशेदपुर और इसके आसपास 35 हजार से अधिक डीजल और सीएनजी ऑटो चलते हैं। इनमें से अधिकांश के पास परमिट नहीं है, फिर भी वे शहर के हर प्रमुख चौक-चौराहों पर बिना किसी रोक-टोक के यात्रियों को ले जा रहे हैं। एक अगस्त को ऑटो चालकों को वर्दी पहनने संबंधी नियमों की जानकारी दी गई थी। परिवहन सचिव ने सभी जिला परिवहन पदाधिकारियों को इस नियम को सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया है. लेकिन, निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है.
हाल के दिनों में छात्राओं से छेड़छाड़ के मामलों में टेंपो चालकों का नाम सामने आ रहा है. इसको लेकर शहर के लोगों में संशय है. अकेली लड़कियों को स्कूल या अन्यत्र ऑटो से भेजने में परिवार वाले झिझकते हैं। जिला प्रशासन स्कूलों में ही अभियान चलाने की बात कर रहा है. शहर के लोगों का कहना है कि पुलिस को ड्रेस कोड सख्ती से लागू करना चाहिए. साथ ही कागज और चरित्र की भी जांच होनी चाहिए.
किसके लिए कौन से रंग की पोशाक?
ऑटो (डीज़ल-सीएनजी-पेट्रोल) चालकों को खाकी रंग की पैंट और शर्ट पहनने के लिए कहा गया और ई-रिक्शा चालकों को ऑटो चलाते समय नीले रंग की पैंट और शर्ट पहनने के लिए कहा गया। सभी ऑटो चालकों को इन नियमों का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया गया था, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है.