झारखंड

प्राचीन धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों की भूमि के रूप में अपनी पहचान बना चुका है. सरकारी उदासीनता

Tara Tandi
7 Aug 2023 12:27 PM GMT
प्राचीन धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों की भूमि के रूप में अपनी पहचान बना चुका है. सरकारी उदासीनता
x
गुमला जिला कई प्राचीन धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों की भूमि के रूप में अपनी पहचान बना चुका है. सरकारी उदासीनता के चलते यहां के कई स्थल ऐसे हैं, जो आज तक अपनी पहचान नहीं बना पाए हैं. उन्हीं में एक स्थल है, देवगांव. कैसे प्रकृति की गोद में बसा ये स्थल अनदेखी का दंश झेल रहा है. सुंदर पहाड़ी, चारों ओर हरियाली और तलहटी पर बसा प्राचीन बुढ़वा महादेव मंदिर. जो भक्तों की आस्था का केंद्र है. सावन में यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं. मान्यता है कि इस मंदिर में पूजा अर्चना कर जो भी मन्नत मांगते हैं, वो पूरी हो जाती है. यही वजह है कि जिलेवासियों के लिए ये धार्मिक स्थल बेहद मायने रखता है.
धार्मिक स्थलों की अनदेखी क्यों?
जिला मुख्यालय से 40 किमी की दूरी पर पालकोट प्रखंड के तपकरा पंचायत क्षेत्र में स्थित ये मंदिर धार्मिक मान्यताओं के साथ ही प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी जाना जाता है, लेकिन आज तक सरकार ने इस स्थल के विकास के लिए कोई पहल नहीं की है. शिवभक्तों की आस्था का केंद्र और प्रकृति प्रेमियों की पहली पसंद होने के बाद भी यहां मूलभूत सुविधाएं तक बहाल नहीं की गई है.
प्राकृतिक नजारों के लिए पर्यटकों की पहली पसंद
प्राचीन बुढ़वा महादेव मंदिर असल में कोई ईंट पत्थर से बना मंदिर नहीं है, बल्कि ये स्थल एक बड़े पहाड़ की गुफा में स्थित है. इस मंदिर में विराजित मूर्तियां बेहद प्राचीन है. इस पहाड़ की परिधि कितनी बड़ी है इसका अंदाजा लगाना भी काफी मुश्किल है. लोग इस स्थान को देखने के लिए काफी दूरदराज के क्षेत्र से आते है, लेकिन इस स्थल को पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित करने की कोशिश कभी की ही नहीं गई. प्राकृति और संस्कृति के इस अनोखे समागम को वो पहचान नहीं मिल पाई है, जिसकी ये हकदार है.
शासन-प्रशासन की अनदेखी का दंश झेल रहा देवगांव
इस तरह के स्थलों की बदहाली प्रदेश सरकार की पर्यटन स्थलों के प्रति उदासीनता को दिखाती है. अगर सरकार ऐसे जगहों पर ध्यान दें और इसका विकास पर्यटन क्षेत्र के रूप में किया जाए तो ना सिर्फ इससे क्षेत्र का विकास होगा, बल्कि रोजगार भी बढ़ेगा और सरकार को भी राजस्व का लाभ होगा.
Next Story