भीषण गर्मी से होने वाली बीमारियों से निबटने के लिए अस्पतालों में डेडिकेटेड बेड लगाने के निर्देश
जमशेदपुर न्यूज़: ग्लोबल वॉर्मिंग से बढ़ रहे तापमान के बाद उत्पन्न होने वाली बीमारियों के खतरे ने स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा दी है. केंद्र सरकार की हिदायत के बाद स्वास्थ्य विभाग ने हीट स्ट्रोक के संभावित मरीजों की समय पर पहचान व इलाज की व्यवस्था शुरू कर दी है. मार्च-जुलाई तक पड़ने वाली भीषण गर्मी से अलर्ट करते हुए विभाग ने सिविल सर्जनों को अपने जिले के अस्पतालों में हीट स्ट्रोक के मरीजों के लिए डेडिकेटेड बेड की व्यवस्था करने एवं ओपीडी में अपने वाले मरीजों के लू के लक्षणों की जांच करने को कहा है.
जोखिम वाले मरीजों के लिए आउटरिच क्लिनिक की व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अभियान निदेशक ने सभी सीएस को दिशा निर्देश जारी किया है. स्वास्थ्य पर होने वाले दुष्प्रभाव से निबटने को कार्ययोजना बनाकर तैयारी के निर्देश दिए हैं. हीट रेडिएशन इलनेस की निगरानी के तहत सभी जिलों के अस्पतालों से दैनिक प्रतिवेदन मांगा है. सीएस को मार्च से जुलाई तक रोज अद्यतन प्रतिवेदन एनपीसीसीएचएच कोषांग के ई-मेल पर देना है.
पर्याप्त उपचार के बाद ही रेफर करेंगे सीएचसी:
अभियान निदेशक ने स्पष्ट कहा है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों से हीट रिलेटेड इलनेस के मरीजों को पर्याप्त उपचार सुनिश्चित करने के बाद ही रेफर किया जाएगा. सीएचसी अपने जिला अस्पताल से समन्वय बनाएंगे एवं अधिक संख्या में मरीजों के रेफर करने पर उसकी अग्रिम सूचना जिला अस्पताल को देंगे.
सिविल सर्जनों को ये निर्देश:
● सदर व सीएचसी में पर्याप्त स्टाफ, आईवी फ्लूड, ओआरएस. आवश्यक दवा व उपकरणों की व्यवस्था हो.
● जिला एवं प्रखंड स्तर पर आपातकालीन (एक्सिजेंसी कॉल) रैपिड रेस्पांस टीम का गठन करें.
● प्राथमिक उपचार कक्ष में ओआरएस कॉर्नर बनाएं और ओपीडी मरीजों के लू के लक्षणों की जांच की जाए.
● त्वरित पहचान के लिए स्टैंडर्ड ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल का अनुपालन इमरजेंसी में करें.
● वार्ड और ओपीडी में मरीजों के लिए वाटर कूलर व एयरकूलर की व्यवस्था की जाए.
● सीएचसी द्वारा आसपास के क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाएं.
● वार्ड और ओपीडी में मरीजों के लिए वाटर कूलर व एयरकूलर की व्यवस्था की जाए.
● बच्चों वृद्ध, गर्भवती महिलाओं व गंभीर रूप से बीमार मरीजों के लिए पर्याप्त व्यवस्था हो.
कई बीमारियों का बढ़ा खतरा:
अभियान निदेशक ने कहा कि तापमान में वृद्धि से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को लेकर एनएचएम के नेशनल प्रोग्राम ऑन क्लाईमेट चेंज एंड ह्यूमन हेल्थ भारत सरकार द्वारा मार्गदर्शिका (नेशनल एक्शन प्लान ऑन हीट रिलेटेड इलनेस) तैयार की गयी है. इसके अनुसार गर्म हवाओं के कारण शरीर में पानी की कमी, सिर दर्द, कार्डियोवैस्कुलर कंप्लीकेशन, हीट-ब्रेन स्ट्रोक की समस्या होती है. इसका समय पर उपचार जरूरी है. उन्होंने इसके लिए सभी सिविल सर्जनों को हीट रिलेटेड इलनेस से निपटने के स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर के संबंध में सभी चिकित्सक व पारामेडिकल स्टाफ का उन्मुखीकरण कराने का निर्देश दिया है. साथ ही कहा है कि मरीज को अविलंब 108 एंबुलेंस से नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में पहुंचाकर उपचार सुनिश्चित की जाए.