फर्जी हत्याकांड के पीड़ित को पांच लाख मुआवजा देने का निर्देश
राँची न्यूज़: झारखंड उच्च न्यायालय ने फर्जी प्रीति हत्याकांड के मामले की सुनवाई करते हुए गृह विभाग को पीड़ित अजीत कुमार को पांच लाख रुपये का हर्जाना देने का निर्देश दिया है. जस्टिस संजय कमार द्विवेदी की अदालत ने अजित कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है.
झारखंड उच्च न्यायालय ने मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा कि बगैस सही तरीके से जांच किए किसी को जेल भेज देना गंभीर मामला है.
पुलिस पर लगाए आरोप याचिकाकर्ता अजित कुमार ने दोषी पुलिस कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने और मुआवजा देने की मांग करते हुए झारखंड उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. सुनवाई के दौरान प्रार्थी का पक्ष रख रहे अधिवक्ता आकाश दीप ने न्यायालय में कहा कि पुलिस की लापरवाही के कारण पीड़ित का करियर बर्बाद हो गया है. लेकिन अभी तक सरकार की ओर से पीड़ित युवक के पुनर्वास के लिए कुछ भी नहीं किया गया है. सुनवाई के बाद अदालत ने युवक को पांच लाख रुपए हर्जाना देने का निर्देश दिया.
मामले पर एक नजर
15 फरवरी 2014 को रांची के चुटिया की रहने वाली प्रीति नाम की एक युवती लापता हो गई थी. 16 फरवरी 2014 को बुंडू से एक युवती का शव बरामद हुआ. शव जली हुई हालत में मिला था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ था कि युवती की हत्या के बाद अपराधियों ने उसे जला दिया था. शव अज्ञात था, पुलिस ने प्रीति के परिजनों को पहचान करने को कहा. कद-काठी लगभग एक जैसी होने के कारण परिजनों ने प्रीति के शव होने की आशंका जताई थी. जिसके बाद पुलिस ने डीएनए मैच कराए बिना मान लिया कि शव प्रीति का है.
धुर्वा के तीन युवकों को कर लिया गया था गिरफ्तार
पुलिस ने धुर्वा के तीन युवकों को गिरफ्तार किया. इसमें अजित कुमार, अमरजीत कुमार व अभिमन्यु उर्फ मोनू हैं. तीनों को 17 फरवरी 2014 को जेल भेज दिया गया. रांची पुलिस ने तीनों के खिलाफ अपहरण, सामूहिक दुष्कर्म और हत्या कर जलाने के मामले में आरोप पत्र भी दाखिल कर दिया था. तीनों युवक इनकार करते रहे कि उनका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं, लेकिन पुलिस ने उनकी नहीं सुनी.