झारखंड

महंगाई दर चरम पर! मिशन एडमिशन, टेंशन ही टेंशन

Renuka Sahu
17 Oct 2022 1:59 AM GMT
Inflation at its peak! Mission admission, tension is tension
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न्यूज़ क्रेडिट : lagatar.in

महंगाई दर चरम पर है. महंगाई के हिसाब से देखा जाए तो पिछले तीन-चार सालों में लोगों की आय में 25-30 फीसदी की कमी आयी है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। महंगाई दर चरम पर है. महंगाई के हिसाब से देखा जाए तो पिछले तीन-चार सालों में लोगों की आय में 25-30 फीसदी की कमी आयी है. लेकिन स्कूल प्रबंधकों को इससे फर्क नहीं पड़ता. स्कूलों का नामांकन शुल्क से लेकर मासिक शुल्क तक बढ़ता ही जा रहा है. सरकार और जिला प्रशासन को इसकी परवाह नहीं. स्कूलों के मामले में कह सकते हैंः खाता ना बही, जो प्रबंधन कहे, वही सही.

पिछले साल अलग-अलग स्कूलों में नर्सरी व एलकेजी कक्षा में नामांकन शुल्क आठ हजार से 38 हजार रुपये तक था. इस वर्ष इसमें 10 से 15 फीसदी बढ़ोतरी करने के लिए पिछले दिनों जमशेदपुर अनएडेड स्कूल एसोसिएशन की बैठक हुई. जिसमें यह निर्णय लिया गया कि स्कूल प्रबंधन न्यूनतम 10 प्रतिशत एवं अधिकतम 15 प्रतिशत तक नामांकन शुल्क में वृद्धि कर सकते हैं. इससे अभिभावकों की परेशानी बढ़ना लाजमी है. इस वर्ष अभिभावकों को नामांकन के लिए 10 से 40 हजार रुपये तक खर्च करने पड़ेंगे.
फीस निर्धारण समिति की बैठक पांच साल से नहीं: डॉ. उमेश
जमशेदपुर अभिभावक संघ के अध्यक्ष डॉ. उमेश ने कहा कि शहर के निजी स्कूल अपने अनुसार ही नामांकन फीस तय करते हैं. पांच वर्षों से जिला फीस निर्धारण समिति की बैठक ही नहीं हुई. झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण के अनुसार साल में दो बार बैठक होनी चाहिए. स्कूल प्रबंधन अपने स्तर से फीस बढ़ा देते हैं.
नामांकन में पारदर्शिता पर उठते सवाल
निजी स्कूलों में नर्सरी व एलकेजी में नामांकन के लिए लॉटरी की प्रक्रिया अपनाई जाती है. इसे लेकर सवाल उठते रहे हैं. स्कूल प्रबंधन का कहना है कि लॉटरी प्रक्रिया शिक्षा विभाग के प्रतिनिधि के सामने होता है. कोई गड़बड़ी नहीं होती. पहले "सरस" सॉफ्टवेयर के माध्यम से लॉटरी होता था. 'सरस' में खामियों की शिकायत के बाद उसे बदल दिया गया है. विभिन्न संगठनों और अभिभावकों की मांग रही है कि लॉटरी अभिभावकों के समक्ष हो. लेकिन ना तो स्कूल प्रबंधन और ना ही जिला प्रशासन ने कभी इस मांग पर ध्यान दिया.
जिला प्रशासन की भूमिका नहीं
निजी स्कूलों में नर्सरी व एलकेजी में नामांकन की प्रक्रिया में जिला प्रशासन की भूमिका कुछ भी नहीं है. सिर्फ यह कि लॉटरी के वक्त शिक्षा विभाग का एक व्यक्ति मौजूद होता है. अगर जिला प्रशासन चाहे तो लॉटरी की प्रक्रिया अभिभावकों को समक्ष होने लगेंगे. लेकिन ऐसा होने पर नामांकन के नाम पर होने वाला खेल बंद हो जायेगा. जो कोई नहीं चाहता.
नियमों का पालन होता हैः रितू चौधरी
जमशेदपुर अभिभावक संघ के अध्यक्ष डॉ. उमेश ने कहा कि शहर के निजी स्कूल अपने अनुसार ही नामांकन फीस तय करते हैं. पांच वर्षों से जिला फीस निर्धारण समिति की बैठक ही नहीं हुई. झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण के अनुसार साल में दो बार बैठक होनी चाहिए. स्कूल प्रबंधन अपने स्तर से फीस बढ़ा देते हैं.
रितु चौधरी मोतीलाल नेहरू पब्लिक स्कूल की उप प्राचार्य
मोतीलाल नेहरू पब्लिक स्कूल की उप प्राचार्य रितु चौधरी ने बताया कि स्कूल प्रबंधन सरकार के नियमों का पूरी तरह पालन करता है. सरकार की गाइडलाइन के अनुरूप ही फीस में वृद्धि की जाती है. जहां तक नामांकन के लिए लॉटरी की बात है, तो पूरे पारदर्शी तरीके से शिक्षा विभाग के प्रतिनिधि एवं अभिभावकों की उपस्थिति में मैनुअल लॉटरी की जाती है.
नामांकन आसान नहीं: शबनम परवीन
मानगो निवासी की शबनम परवीन ने पिछले वर्ष अपने बच्चे के लिए तीन स्कूल राजेंद्र विद्यालय, लोयोला और डीएवी बिष्टुपुर में फॉर्म जमा किया था. मेहनत-मशक्कत व पैरवी से डीएवी स्कूल में बच्चे का नामांकन हुआ. बच्चे का नामांकन होने पर जंग जीतने का एहसास हुआ. लेकिन शुरुआती दौर में स्कूल प्रबंधन द्वारा जिस प्रकार का व्यवहार किया गया, वह काफी असहनीय रहा. बच्चे के भविष्य के लिए सहना ही पड़ता है.
डॉ. राकेश कुमार पांडे,शिक्षाविद
शिक्षाविद एवं जमशेदपुर ग्रेजुएट कॉलेज के प्राध्यापक डॉ. राकेश कुमार पांडे ने कहा कि निजी स्कूल प्रबंधन, सरकार व न्यायालय के निर्देशों की अनदेखी करते हैं. उनकी मनमानी पर जिला प्रशासन को रोक लगानी चाहिए. तभी अभिभावकों को राहत मिलेगी.
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