झारखंड

झारखंड के इस मंदिर में है नाग-नागिन का असली दर्शन, 500 साल पहले मिली थी रहस्यमयी गुफा

Bhumika Sahu
2 Aug 2022 10:41 AM GMT
झारखंड के इस मंदिर में है नाग-नागिन का असली दर्शन, 500 साल पहले मिली थी रहस्यमयी गुफा
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500 साल पहले मिली थी रहस्यमयी गुफा

रांची. 2 अगस्त को देश में नाग पंचमी का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है। यह पर हर वर्ष सावन मास के शुक्ल पक्ष के पंचमी को मनाया जाता है। इस बार की नागपंचमी में शिव, सिद्ध और रवि तीन शुभ योग बने हैं, ये अच्छे कार्यों के लिए शुभ माने जाते हैं। नागपंचमी झारखंड सहित पूरे देश में मनाया जाता है। लोगों की नागपंचमी से आस्था और कई मान्यताएं भी जुड़ी है। वहीं झारखंड में एक जगह ऐसी भी है जहां साक्षात नाग-नागिन के दर्शन होते हैं। आइए जानते हैं इस मंदिर का रहस्य।

रांची के पहाड़ी मंदिर को कहा जाता है झारखंड का दूसरा देवघर
झारखंड की राजधानी रांची में पहाड़ी मंदिर है। इसे दूसरे देवघर के नाम से भी जाना जाता है। पहाड़ी मंदिर से यहां के लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। मान्यता है कि 500 वर्ष पूर्व यहां नाग-नागिन की गुफा का पता चला था। आज भी लोगों को इस गुफा में नाग-नागिन के साक्षात दर्शन होते हैं। सामान्य दिनों में प्रति वर्ष लाखों श्रद्धालु पहाड़ी बाबा का दर्शन करने आते हैं। पहाड़ी बाबा का यह मंदिर नाग देव की कहानियों के कारण विख्यात है। यहां आपको नागदेव की गुफा के दर्शन होंगे।
500 वर्ष से अधिक समय से रहते हैं नाग-नागिन
यहां के स्थानीय लोगों का मानना है कि फांसी टुंगरी के नाम से विख्यात इस मंदिर में 500 वर्ष से अधिक समय से नागदेव का वास है। लोग हर नाग पंचमी को यहां नागदेव को दूध अर्पित करने आते थे। यहां एक गुफा है। हिंदू धर्म शास्त्रों में उल्लेखित नागलोक तक पहुंचने का रास्ता यहां से होकर जाता था। नागदेवता की गुफा के ऊपर शिव का वास था। ऊंची चोटी पर विराजमान पहाड़ी बाबा के मंदिर के ठीक सामने नागदेव की गुफा है। सैकड़ों साल पुरानी इस गुफा में आज भी नाग-नागिन का साक्षात दर्शन होते हैं।
पहाड़ी पर दी जाती थी स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी
भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के समय स्वतंत्रता संग्राम के लिए लड़ने वाले योद्धाओं को फांसी के लिए इस पहाड़ी पर लाया जाता था। इसी दौरान एक बार फिर इस धार्मिक स्थल के महत्व के बारे में लोगों को जानकारी मिली। पहाड़ पर मौजूद शिवलिंग को पहाड़ी बाबा के नाम से आसपास के इलाकों में लोग जानने लगे।
आदिवासी समुदाय के लोग करते हैं विशेष पूजा
बहुत लंबे समय से यहां के लोग पहाड़ी पर स्थित मंदिर में नागदेव की पूजा अर्चना होती है। खास बात यह है कि पहले आदिवासी धर्मगुरु पाहन सरना विधि से नागदेव की पूजा करते हैं। इसके बाद सनातन संस्कृति के अनुसार मंदिर के पुजारी पूजा करते हैं। नाग पंचमी पर नाग-नागिन की विशेष पूजा होती है। इस दिन पहाड़ी मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। नागदेव को दूध-लावा चढ़ाने के लिए लंबी कतारें लगती है।
पूजा करने की विधि
नाग पंचमी के शुभ अवसर पर अपने घर के मुख्य द्वार पर दोनों तरफ आप गोबर का सर्प बनाएं. उसके बाद दूर्वा, दूध, कुशा, अक्षत्, फूल आदि से उनकी पूजा करें. इसके अलावे इस दिन नाग देवता को दूध से स्नान भी कराएं, एक समय का व्रत रखें और ब्राह्मणों को भोजन भी कराएं। ऐसा करने से आपका सर्पदोष दूर हो जाएगा।
क्या है मान्यता
वेदों के अनुसार मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा करने से यह नाग देवता भगवान शिव और श्री हरि विष्णु से आपके लिए प्रार्थना करते हैं, ताकि आपका जीवन मंगलमय हो। इनकी प्रार्थना से दोनों देव प्रसन्न होकर आपकी हरेक मनोकामनाओं पूरी करेंगे।


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