झारखंड
झारखंड के सरकारी स्कूलों में तीसरी से 7वीं की परीक्षा मैट्रिक और इंटर बोर्ड परीक्षा के तर्ज पर की जाएगी आयोजित, जल्द आएगी एग्जाम डेट
Renuka Sahu
25 May 2022 4:09 AM GMT
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फाइल फोटो
झारखंड के सरकारी स्कूलों में तीसरी से 7वीं की परीक्षा मैट्रिक और इंटर बोर्ड परीक्षा के तर्ज पर आयोजित की जाएगी.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। झारखंड के सरकारी स्कूलों में तीसरी से 7वीं की परीक्षा मैट्रिक और इंटर बोर्ड परीक्षा के तर्ज पर आयोजित की जाएगी. इसके लिए स्कूली शिक्षा विभाग द्वारा तैयारी की जा रही है. अब से तीसरी से 7वीं के स्कूल के छात्रों का मूल्याकंन भी 10वीं और 12वीं परीक्षा के आधार पर किया जाएगा. परीक्षा दो पाली में होगी पहली पाली में ऑब्जेक्टिव टाइप (MCQ) सवाल पूछे जाएंगे और दूसरी पाली में सब्जेक्टिव टाइप सवाल पूछे जाएंगे. दोनों एग्जाम के बीच 15 मिनट का ही गैप दिया जाएगा. झारखंड के स्कूलों में फिलहाल गर्मी छुट्टी चल रही है. 4 जून को गर्मी की छुट्टी खत्म होने के बाद वार्षिक परीक्षा (Jharkhans School) का आयोजन किया जाएगा. इसके बाद इस परीक्षा में पास होने वाले स्टूडेंट्स ही अगली क्लास में प्रमोट होंगे.
80 नंबर की होगी परीक्षा
तीसरी से 7वीं की वार्षिक परीक्षा में 40-40 नंबर के एमसीक्यू यानी ऑब्जेक्टिव और सब्जेक्टिव सवाल पूछ जाएंगे. इस परीक्षा में एक पेपर के लिए 1.30 घंटे का समय मिलेगा. 20 नंबर आंतरिक मूल्यांकन (internal assessment) के लिए दिए जाएंगे. इसलिए परीक्षा में केवल 80 नंबर के सवाल पूछे जाएंगे. ये परीक्षाएं कब होंगी इसके लिए कोई तारीख निर्धारित नहीं की गई है. लेकिन कहा जा रहा है कि 7 से 15 जून के बीच परीक्षा का आयोजन किया जा सकता है. इसका परिणाम जून के अंतिम सप्ताह में आ जाएगा और बच्चों के प्रमोट करने व नामांकन के बाद जुलाई से नया शैक्षणिक सत्र शुरू हो सकेगा.
वहीं पहली और दूसरी क्लास के बच्चों के लिए लिखित परीक्षा नहीं होगी केवल मौखिक परीक्षा (oral test) ली जाएगी. इसके साथ ही छात्र-छात्राओं को मौखिक परीक्षा में जवाब देने के लिए क्षेत्रीय भाषा की छूट दी गई है. जो स्टूडेंट्स हिंदी की जगह अपनी क्षेत्रीय भाषा में आंसर देना चाहते हैं उनसे उसी भाषा में सवाल पूछा जाएगा.
ये फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि पिछले दो सालों तक स्कूल बंद थे और बच्चे अपने घर में घर की भाषा में ही बात कर रहे थे. इसलिए उन्हें हिंदी में जवाब देने में परेशानी हो सकती है. शिक्षा विभाग ने इन कारणों से क्षेत्रीय भाषा में जवाब देने की छूट दी है.
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